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अंतिम अंक के आधार पर होगा वाहन का चालान

हाई सिक्योरिटी प्लेट न लगवाने पर वाहनों का चालान नंबर के अंतिम अंक के अनुसार होगा। 15 जुलाई के पश्चात इसकी शुरुआत परिवहन विभाग करेगा। अंकों के बढ़ते क्रम के अनुसार तीन-तीन माह की रियायत बढ़ेगी।

By JagranEdited By: Published: Fri, 05 Feb 2021 11:20 PM (IST)Updated: Fri, 05 Feb 2021 11:20 PM (IST)
अंतिम अंक के आधार पर होगा वाहन का चालान
अंतिम अंक के आधार पर होगा वाहन का चालान

सिद्धार्थनगर: हाई सिक्योरिटी प्लेट न लगवाने पर वाहनों का चालान नंबर के अंतिम अंक के अनुसार होगा। 15 जुलाई के पश्चात इसकी शुरुआत परिवहन विभाग करेगा। अंकों के बढ़ते क्रम के अनुसार तीन-तीन माह की रियायत बढ़ेगी। परिवहन विभाग ने 15 अप्रैल 2020 से सभी वाहनों के लिए हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट (एचएसआरपी) को अनिवार्य किया है।

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मार्च 2020 के पहले के वाहनों में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगवाना होगा। इसके लिए विभाग ने समय सीमा तय कर दी है। एचएसआरपी लगाने के लिए आनलाइन आवेदन करना होगा। सिद्धार्थनगर में 15 हजार पुराने वाहन हैं, जिनमें एचएसआरपी नहीं लगी है। अधिकारियों ने बताया कि जिले में पंजीकृत सभी व्यावसायिक वाहनों को एचएसआरपी लगवानी होगी। वाहनों के नंबर के अनुसार समय सीमा समाप्त होते ही चालान किया जाएगा। किसी भी स्थित में दोबारा अतिरिक्त समय नहीं मिलेगा। एआरटीओ प्रशासन आशुतोष कुमार शुक्ला ने कहा कि पुराने वाहनों में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगवाना अनिवार्य किया गया है। तय सीमा में प्लेट न लगवाने वाले वाहनों का चालान किया जाएगा।

नेटवर्क समस्या से जूझ रहे उपभोक्ता

सिद्धार्थनगर : क्षेत्र में लगे मोबाइल टावर बेकार साबित हो रहे हैं। टावर के नीचे खड़े होने के घंटों बाद भी किसी से बात करना टेढ़ी खीर साबित हो रही है क्योंकि अधिकतर कंपनियों के टावर सिर्फ बिजली के भरोसे ही चल रहे हैं।

क्षेत्र के परसा हुसेन, औराताल, टिकरिया, कुसुम्ही, कुसहटा, सेखुई, परसा, कुंडी, जिमड़ी, आदि गांवों के हजारों मोबाइल धारक नेटवर्क समस्या से जूझ रहे हैं। मोबाइल नेटवर्क प्रोवाइडर कंपनियों के कई टावर ग्रामीण क्षेत्रों में लगे हैं, परन्तु लगभग सभी हाथ के दांत साबित हो रहे हैं। परसा हुसेन में लगा टावर बिजली रहने पर ही चलता है बिजली गुल होने पर नेटवर्क भी गायब हो जाता है। एक संचार कंपनी के तकनीकी सहायक पंकज सिंह ने बताया की कपंनी का निर्देश है कि जो टावर मुनाफे में हैं उन्हें ही डीजल दिए जाए बाकी बिजली पर ही संचालित किए जाएं। इसलिए समस्या बनी हुई है।


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