कोरोना से हराने के लिए अपनाना होगा दो गज दूरी व मास्क
दैनिक जागरण के बाल संवाद कार्यक्रम में स्कूल के बच्चों को सेहत और पढ़ाई के अच्छे टिप्स दिए। कोरोना से बचाव के उपाय भी बताए। केंद्रीय विद्यालय और रघुवर प्रसाद जायसवाल सरस्वती शिशु मंदिर के बच्चों ने कोरोना को लेकर सीएमओ से कई सवाल पूछे।
सिद्धार्थनगर: मुख्य चिकित्साधिकारी डा. आईवी विश्वकर्मा ने बुधवार को दैनिक जागरण के बाल संवाद कार्यक्रम में स्कूल के बच्चों को सेहत और पढ़ाई के अच्छे टिप्स दिए। कोरोना से बचाव के उपाय भी बताए। केंद्रीय विद्यालय और रघुवर प्रसाद जायसवाल सरस्वती शिशु मंदिर के बच्चों ने कोरोना को लेकर सीएमओ से कई सवाल पूछे। सवालों का जवाब देते हुए सीएमओ ने न केवल बच्चों का भ्रम दूर किया बल्कि यह भी कहा कि कोरोना की अब तक कोई दवा नहीं बनी है और न ही अभी कोई शोध सामने आया है। इससे बचाव का सही उपाय सिर्फ दो गज की दूरी और मास्क का प्रयोग है। इसके लिए बच्चों को चाहिए कि वह अपने घर हीं नहीं आस-पास के क्षेत्र भी जागरुकता फैलाएं। नवीन कुमार मिश्र ने कहा कि सफलता के लिए कितने घंटे सोना और कब पढ़ना उचित होता है?
रात में नौ से सुबह चार-पांच बजे तक सोना चाहिए। स्वस्थ रहने के लिए सात-आठ घंटे की नींद जरूरी है। बच्चों के पढ़ने का सबसे उपयुक्त समय सुबह का है। जैसे मोबाइल में मेमोरी भर जाने पर खाली किया जाता है, ठीक उसी तरह से नींद पूरी होने के बाद दिमाग से कचरा खाली हो जाता है और उस समय जो कुछ पढ़ेंगे याद भी रहेगा। यदि ठीक से पढ़ना और आगे बढ़ना है तो मोबाइल से दूर रहें। उमाकांत ने कहा कि आप डाक्टर कैसे बने? कितना पढ़े।
हिदी मीडियम का छात्र था। अंग्रेजी समझ में नहीं आती थी। कोचिग भी नहीं था। खुद से पढ़ा और यह मुकाम हासिल किया। इंटर में था तो उम्र कम थी। सीपीएमटी की परीक्षा में नहीं बैठ पाया। बीएससी करने लगा तो अंग्रेजी कुछ समझ में आती थी। तब दो वर्ष का बीएससी था। दूसरे वर्ष बीएससी जैसे ही पास किया उसी दौरान यह भी रिजल्ट मिला कि मेरा सलेक्शन पच्चीसवें रैंक पर हो गया है और मुझे पटना के सबसे बेहतर मेडिकल कालेज में दाखिला मिल गया। हर क्षेत्र अच्छा है। जिस विषय में रुचि हो, उसमें ही लगन से आगे पढ़ें। सफलता जरूर मिलेगी।
प्रतीक त्रिपाठी ने पूछा कि साबुन कैसे वायरस को साफ करता है। बर्तन आपने साफ करते देखा होगा। साबुन में हाइड्रोक्लोराइड होता है। जब वह तेल या चर्बी वाले वायरस के संपर्क में आता है तो साबुन के साथ ही वह घुल कर बाहर निकल जाता है। ठीक ऐसे ही साबुन भी हाथों और शरीर में चिपके वायरस को साफ करता है।
आलोक ने पूछा कि कोरोना तो पहले से भी था? फिर यह नया कैसे?
इस सवाल पर उन्होंने कहा कि सर्दी जुकाम का बिगड़ा स्वरूप हो सकता है। आपके अगल-बगल कई तरह के वायरस घूम रहें हैं। जब आप आगे पढ़ेंगे और वैज्ञानिक बनेंगे तो इनके बारे में ज्यादा जानेंगे और समझेंगे।
इशांत के सवाल पर सवाल गांवों की अपेक्षा शहरों में यह बीमारी ज्यादा क्यों पर उन्होंने कहा कि गांवों के लोग पहले से भी दूरी बनाकर रहते हैं। शहर में भीड़ होती है। दो गज की दूरी जब भी टूटेगी बीमारी तो फैलेगी ही।
बच्चों ने दैनिक जागरण के कार्यक्रम को सराहा
जागृति ने कहा कि कार्यक्रम बहुत ही अच्छा था। कोरोना को लेकर जो मन में भ्रम थे, वह दूर हुए। यह जानकारी मिली कि कोरोना से बचाव ही एक मात्र रास्ता है। जब मुझे जानकारी हुई कि दैनिक जागरण के कार्यक्रम में मुझे जाना है? तो सुबह ही अखबार पढ़ी। यह भी लग रहा था कि कोई मुझसे यह न पूछ ले कि आज की मुख्य खबर क्या है? दैनिक जागरण ने यह जो अवसर दिया है, वह भूला पाना मुश्किल है। एक डाक्टर बनने के लिए कितना संघर्ष करना होता है। इसकी जानकारी बहुत सटीक मिली है।
कोरोना को लेकर मन में जो डर था, वह इस कार्यक्रम के बाद समाप्त हो चुका है। यह भी जानकारी हुई है कि अब तक कोरोना की कोई दवाई नहीं बनी है। सिर्फ शारीरिक क्षमता विकसित रखने की जरूरत है।
इस तरह के कार्यक्रम से मन बहुत प्रसन्न हुआ। ऐसे अवसर में हम बच्चों को मिलने ही चाहिए। सीएमओ के द्वारा मोबाइल का जिक्र करते हुए पढ़ाई के जो टिप्स दिए गए वह शानदार रहा। यह मैं अच्छी तरह से जान गया हूं कि कोरोना को लेकर कैसे बचना है। अपने दोस्तों और आस-पास के लोगों को भी बताउंगा कि इस बीमारी का इलाज दो गज की दूरी और सतर्कता ही है।