डाक्टर न सुविधा कहने को अस्पताल
बिस्कोहर स्थित पीएचसी पर न तो डाक्टर तैनात हैं और न ही सुविधाएं उपलब्ध हैं। अस्पताल फार्मासिस्ट का भरोसे चल रहा हैं। नागरिकों का कहना है कि अस्पताल में डाक्टरों की तैनाती की माग को लेकर अधिकारियों को कई बार लिखा गया लेकिन तैनाती नहीं हो सकी। मजबूरी में मरीजों को अधिक दूर के अस्पताल में जाना पड़ता है।
सिद्धार्थनगर : बिस्कोहर स्थित पीएचसी पर न तो डाक्टर तैनात हैं और न ही सुविधाएं उपलब्ध हैं। अस्पताल फार्मासिस्ट का भरोसे चल रहा हैं। नागरिकों का कहना है कि अस्पताल में डाक्टरों की तैनाती की माग को लेकर अधिकारियों को कई बार लिखा गया, लेकिन तैनाती नहीं हो सकी। मजबूरी में मरीजों को अधिक दूर के अस्पताल में जाना पड़ता है।
अस्पताल कई वर्षों से चिकित्सक विहीन है। एक फार्मासिस्ट थे, जिनके भरोसे जैसे-तैसे स्वास्थ्य सेवाएं चल रही थीं। 30 अप्रैल 2021 को वह सेवानिवृत्त हो गए। तब से दूसरे की तैनाती नहीं हुई। कभी-कभार दूसरे अस्पताल से डाक्टर भेजे जाते हैं, परंतु वे कब आएंगे, इसकी जानकारी किसी को नहीं रहती है। बुधवार को यहां करीब ग्यारह बजे तक मरीज डाक्टर का इंतजार करते रहे, मगर जब वह नहीं आए तो सभी वापस लौट गए। अस्पताल में जांच सुविधाओं का टोटा है तो पेयजल तक की सुविधा नहीं है। इंडिया मार्क हैंडपंप खराब है। बेड पर बिछी चादर भी गंदी है। मौके पर केवल स्टाफ नर्स संजू व प्रियंका स्वीपर मिलीं। एएनएम अमरेश मिश्रा के बारे में बताया गया कि वे क्षेत्र में गई हैं। रजवापुर निवासी कुसुम खांसी, जुकाम से पीड़ित थीं। काफी देर तक अस्पताल पर चिकित्सक का इंतजार की और फिर निराश होकर लौट गई। उनका कहना है कि अब भनवापुर या इटवा इलाज के लिए जाना पड़ेगा।
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पूनम बिटिया डिपल व गोल्डी को लेकर अस्पताल आई ने बताया कि तेज बुखार, खांसी व जुकाम के कारण उनको दिखाने आई हूं। उम्मीद थी कि सरकारी अस्पताल है तो चिकित्सीय उपचार मिल जाएगा, लेकिन अब वापस लौट रही हूं।
नक्थर देवरिया गांव के राम बरन ने बताया कि कोरोना टीकाकरण की दूसरी डोज लगवाने के लिए आए थे, परंतु आज यहां वैक्सिनेशन ही नहीं हो रहा है। घर वापस जा रहे हैं, किसी दूसरे दिन आकर टीका लगवाएंगे।
तुलसी राम ने बताया कि अस्पताल के आसपास का इलाका बाढ़ग्रस्त, फिर भी यहां स्वास्थ्य सेवाएं कुछ भी नहीं है। बुखार, जुकाम से पीड़ित हूं, ये सोचकर अस्पताल आए कि डाक्टर को दिखाकर दवा ले लेंगे, परंतु निराशा हाथ लगी। भनवापुर प्रभारी चिकित्साधिकारी डा. शैलेंद्र मणि ओझा ने कहा कि फार्मासिस्ट की कमी है, इसके लिए ऊपर लिखा-पढ़ी की गई है। स्थायी रूप से चिकित्सक की तैनाती नहीं है, फिर भी वैकल्पिक व्यवस्था के तहत तीन दिन डाक्टर भेजे जाते हैं। कम संसाधन में बेहतर करने का प्रयास किया जाता है।