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वासंतिक नवरात्र आज से, सजे मां के दरबार

चैत्र नवरात्र आज से प्रारंभ हो रहा है। देवी मंदिरों के साथ वटवासिनी गालापुर माता का दरबार भी भक्तों के लिए सज चुका है। मंदिर परिसर की साफ-सफाई के साथ रंगरोगन का काम पूरा हो गया है। परिसर को शुद्ध करने के लिए रविवार शाम हवन-पूजन हुआ।

By JagranEdited By: Published: Tue, 13 Apr 2021 07:00 AM (IST)Updated: Tue, 13 Apr 2021 07:00 AM (IST)
वासंतिक नवरात्र आज से, सजे मां के दरबार
वासंतिक नवरात्र आज से, सजे मां के दरबार

सिद्धार्थनगर : चैत्र नवरात्र आज से प्रारंभ हो रहा है। देवी मंदिरों के साथ वटवासिनी गालापुर माता का दरबार भी भक्तों के लिए सज चुका है। मंदिर परिसर की साफ-सफाई के साथ रंगरोगन का काम पूरा हो गया है। परिसर को शुद्ध करने के लिए रविवार शाम हवन-पूजन हुआ। नगर के सिंहेश्वरी देवी मंदिर, योग माया मंदिर के साथ ही सभी नगरीय व ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित मंदिरों के आस-पास पूजा सामग्री की दुकाने भी सज गई है। इस बार माता रानी को मनाने के लिए भक्तों ने भी विधि विधान से पूजा स्थल पर तैयारी कर ली है। मंगलवार को सूर्योदय केसाथ ही देवी की स्तुति शुरू हो जाएगी। ज्योर्तिविदों के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से वासंतिक या चैत्र नवरात्र प्रारंभ होती हैं। इस बार चैत्र नवरात्र 13 अप्रैल मंगलवार शुरू हो रहा है।

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पुजारी पंडित ठाकुर प्रसाद मिश्रा ने बताया कि नवरात्र के दौरान नौ दिनों तक शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री माता की आराधना करने का विधान है। नवरात्रि के प्रथम दिन घटस्थापना के साथ ही मां शैलपुत्री का पूजन किया जाता है। कोरोना को ध्यान में रखते हुए एक साथ सिर्फ आठ लोग ही मंदिर परिसर में प्रवेश कर सकेंगे। सभी के लिए मास्क की अनिवार्यता होगी। महिला व पुरुष के लिए अलग-अलग लाइन लगेगी। मान्यता के अनुसार दो हजार वर्ष पूर्व कलहंस वंश के राजा केशरी सिंह ने राज पुरोहितों से कुलदेवी को लाने के लिए कहा। गोंडा के खोरहस जंगल में जाकर छह माह तक कठिन तपस्या की। तब काली मां प्रकट हुई। पुराहितों ने चलने का आग्रह किया। मां ने शर्त रखा कि एक बार जहां रख दोगे वही स्थापित हो जाऊगीं। वह मदार के पौधे के रूप में सर पर रख वह चले। दरबार के चाटुकारों ने मजाक बनाते हुए कहा कि मदार के पौधे को मां काली बता रहे हैं। राजा ने भी पौघे को भूमि पर रखने का आदेश दिया। जैसे ही उसे रखा, वह भूमि में समा गया और वहां विशाल वटवृक्ष निकल आया। जिसे महाकाली गालापुर के नाम से ख्यात मिला। मुख्यालय के बेलहिया मंदिर में भी देवी स्तुति के लिए अनुष्ठान की विशेष तैयारी की गई है। माता की आरती होती है लेकिन नवरात्र के मौके पर विशेष रूप से देवी स्तुति के साथ आरती कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। घरों में भी लोग कलश स्थापना के साथ माता की स्तुति शुरू करेंगे।

पल्टा देवी मंदिर को सजाया

शक्तिपीठ पल्टा देवी मंदिर में नवरात्र की तैयारी पूरी हो गई है। मंगलवार से यहां श्रद्धालु दर्शन के लिए आएंगे। कस्बा के पास स्थित भिरंडा समय माता मंदिर को भव्य रूप से सजाया गया है। कोरोना संक्रमण को देखते हुए इस बार मां की शोभायात्रा नहीं निकलेगी। कोविड नियमों का पालन करते हुए मास्क पहनकर शारीरिक दूरी बनाते हुए मंदिर में प्रवेश दिया जाएगा। मंदिर कमेटी के मदन कश्यप, उमेश अग्रहरि, नीलू वर्मा ने बताया कि श्रावण मास में धान की फसल की पैदावार बढि़या होने के लिए महिलाएं तेल व सिदूर चढ़ाती हैं। भजन कीर्तन होता है।


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