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धनुष टूटते ही जय श्रीराम का जयघोष

खेसरहा के ढुढनी स्थित समय माता मंदिर पर चल रहे नौ दिवसीय शतचंडी महायज्ञ एवं रामलीला में अयोध्या से आए से बुलाए गए कलाकारों ने रविवार को धनुष यज्ञ का भावपूर्ण मंचन किया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 02 Mar 2021 12:25 AM (IST)Updated: Tue, 02 Mar 2021 12:25 AM (IST)
धनुष टूटते ही जय श्रीराम का जयघोष
धनुष टूटते ही जय श्रीराम का जयघोष

सिद्धार्थनगर : खेसरहा के ढुढनी स्थित समय माता मंदिर पर चल रहे नौ दिवसीय शतचंडी महायज्ञ एवं रामलीला में अयोध्या से आए से बुलाए गए कलाकारों ने रविवार को धनुष यज्ञ का भावपूर्ण मंचन किया। धुनष टूटते ही आतिशबाजी व पटाखों की गूंज होने लगी। लोग जय श्रीराम का जयघोष कर राम सीता विवाह के मंचन पर खुद भी झूमते रहे।

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राजा जनक ने अपनी पुत्री सीता के विवाह के लिए स्वयंवर का आयोजन किया जिसमें देश-विदेश से राजा एवं राजकुमार उपस्थित हुए स्वयंवर में राजा जनक ने यह शर्त रखी कि जो भी व्यक्ति भगवान शंकर के धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ा लेगा मेरी पुत्री सीता का विवाह उसी के साथ होगा। स्वयंवर में आये राजाओं ने शिव धनुष को उठाने का प्रयास किया लेकिन वे उसे हिला तक नहीं पाये। वहां उपस्थित सभी लोगों ने प्रयास किया लेकिन धनुष टस से मस नहीं हुआ। दूर दूर से आए पराक्रमी राजाओं का यह हाल देख राजा जनक अधीर हो उठे । सभा में उपस्थित लोगों से कहा कि क्या इस धरा पर मेरी प्रतिज्ञा को पूरा करने वाला कोई पराक्रमी नहीं है। उनकी इस बात को सुनते स्वयंवर में मौजूद श्रीराम अपने गुरु विश्वामित्र की आज्ञा पाकर आगे बढ़े तथा शिव धनुष को प्रणाम कर उसे उठाया तथा जैसे ही डोरी चढ़ाई धनुष टूट गया। धनुष टूटते ही देवता आकाश से फूल बरसाने लगे तथा चारों ओर जय श्रीराम का उदघोष होने लगा। स्त्रियां मंगल गीत गाने लगी। देवराज गुप्ता उर्फ बहरैची, श्यामधर गुप्ता, विशाल पाण्डेय, अवधेश गुप्ता,रामबेलास आदि मौजूद रहे। े


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