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मार्ग विहीन अस्पताल, बारिश में कैसे पहुंचें बीमार

इस अस्पताल पर 40 गांवों के इलाज का जिम्मा है। बरसात के दिनों में मरीज व तीमारदार यहां न जाकर ब्लाक मुख्यालय स्थित सीएचसी पर इलाज कराने पहुंचते हैं। ग्राम निवासी प्रदीप कुमार मिश्र का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के इलाज को लेकर उक्त अस्पताल का निर्माण हुआ।

By JagranEdited By: Published: Sun, 13 Jun 2021 10:52 PM (IST)Updated: Sun, 13 Jun 2021 10:52 PM (IST)
मार्ग विहीन अस्पताल, बारिश में कैसे पहुंचें बीमार
मार्ग विहीन अस्पताल, बारिश में कैसे पहुंचें बीमार

सिद्धार्थनगर : प्रदेश सरकार भले ही गांव के चकरोड को पिच मार्ग में तब्दील कर रही है। पर अभी भी क्षेत्र के कुछ ऐसे सरकारी संस्था है, जहां बारिश के समय आवागमन दुरूह हो जाता है। बानगी के तौर पर खेसरहा सीएचसी के अधीन आने वाले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र घोसियारी को लिया जा सकता है। दो दशक पूर्व निर्मित इस अस्पताल तक जाने के लिए चकरोड मार्ग ही सहारा है। हल्की बारिश में सभी को कीचड़ के बीच से होकर यात्रा करनी होती है।

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इस अस्पताल पर 40 गांवों के इलाज का जिम्मा है। बरसात के दिनों में मरीज व तीमारदार यहां न जाकर ब्लाक मुख्यालय स्थित सीएचसी पर इलाज कराने पहुंचते हैं। ग्राम निवासी प्रदीप कुमार मिश्र का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के इलाज को लेकर उक्त अस्पताल का निर्माण हुआ। क्षेत्रवासी गदगद हो गये कि इलाज के लिए दूर नही जाना पडे़गा। पर वर्ष के तीन से चार माह यहां पहुंचना कष्टकारी हो जाता है। त्रिभुवन त्रिपाठी ने बताया कि भवन निर्माण के समय ही खड़ंजा लगाया गया था, जो पूरी तरह से उखड़ कर मार्ग को चकरोड में तब्दील कर दिया। राम मिलन चौधरी ने बताया कि बरसात में मरीज हों या चिकित्सक सब अपने वाहन घोसियारी खड़ा करके करीब पांच सौ मीटर कीचड़ में चलकर अस्पताल पहुंचते हैं। महेन्द्र मिश्र, विपुल कुमार चौधरी, सुभाष चौधरी, यमुना त्रिपाठी, डा. अहमद हसन, इंद्रजीत चौधरी, अजय पाल चौधरी, हरीश चौधरी आदि ने पिच मार्ग निर्माण की मांग की है।

सफाई कर्मी का अभाव, गांव में गंदगी व जल जमाव

खेसरहा ब्लाक के ग्राम पंचायत बसखोरिया का टोला रमवापुर में बनी नालियां गंदगी से पट कर उफना रहीं और मार्ग में जल जमाव की स्थिति उत्पन्न हो गई है। इसका कारण गांव में दो वर्ष से किसी सफाई कर्मी की तैनाती न होना है।

इधर उमस व गर्मी बढ़ गई है। गंदगी से गांव में उठने वाली दुर्गंध कब किसे संक्रामक बीमारी के चपेट में ले आ दे कुछ कहा नहीं जा सकता है। जल निकासी के लिए नाली का निर्माण किया गया था। लेकिन मानक विहीन काम होने से वह तीन माह के भीतर ही टूट गई। गांव के इलाके, कुद्दूस, असलम, जानू, हबीब, मोहब्बत, जगदीश, जब्बार, मैनुद्दीन, इम्तियाज आदि का कहना है कि मेरे घर के सामने नाली पट कर उफना रहीं है और गंदा घर के मुहाने पर फैला हुआ है। इसे निकलने का कोई रास्ता नही है। सबसे बडी़ मुसीबत तो यह है कि जब सफाई कर्मी था, तो नाली साफ कर देता था, जिससे पानी निकल जा रहा था। घरों से निकलने वाला गंदा पानी पानी मुख्य मार्ग पर फैला रहता है इससे आवागमन भी दुरूह है। इससे मच्छरों का भी काफी प्रकोप बढ़ गया है।

प्रभारी एडीओ पंचायत महमूद अली ने बताया कि रोस्टर के अनुसार हर न्याय पंचायत में सफाई व दवा छिड़काव हो रहा है। यदि वहा गंदगी है तो सफाई कर्मचारी लगा कर साफ करा दिया जाएगा।


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