पुलिस की निगरानी में आखिर कैसे टूटा ताला
बीएसए ने पूर्व में ही आशंका व्यक्त की थी
सिद्धार्थनगर : बेसिक शिक्षाधिकारी राम¨सह ने बीस दिन पूर्व ही फर्जी शिक्षकों के जांच के मामलों में सुरक्षा की गुहार लगाई थी। उन्होंने आशंका व्यक्त की थी कि उन पर अथवा कार्यालय की पत्रावलियों से छेड़छाड़ हो सकती है। सदर पुलिस को निगरानी की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। तीन दिन पूर्व 38 फर्जी शिक्षकों को बेसिक शिक्षाधिकारी ने बर्खास्त किया। इधर बेसिक शिक्षाधिकारी कार्यालय परिसर में उस कक्ष का ताला टूट गया, जहां तमाम महत्वपूर्ण दस्तावेज रखे थे। ऐसे में पुलिस की भूमिका पर सवाल तो खड़ा होगा ही।
बीएसए कार्यालय में कक्ष का ताला टूटने से बेसिक शिक्षा विभाग से लेकर, पुलिस व जिला प्रशासन कटघरे में है। विभाग के एक लिपिक ने दावा किया कि उसे जानमाल की धमकी मिल रही है। उसने इसकी जानकारी जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक को दी है। बावजूद इसके अभी तक पुलिस ने कोई कदम नहीं उठाया। इस शिथिलता से कहीं न कहीं फर्जी शिक्षकों को ताकत तो मिल ही रही है। यह स्थिति तब है, जब ऐसे मामलों को लेकर लगातार मीडिया, जिम्मेदारों का ध्यान आकृष्ट करा रही है।
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पुलिस के पास जांच पहुंचते ही मामला पड़ गया ठंडा
बेसिक शिक्षा विभाग में कई कर्मचारी संदेह के घेरे में हैं। विभाग इसकी जांच करे भी तो कैसे? ऐसे में मामला पुलिस को सौंपा जाए तो उसने अभी तक कोई बेहतर परिणाम नहीं दिया है।
- वर्ष 2009 में बांसी जिला शिक्षण व प्रशिक्षण संस्थान में आग लग गई। इसमें तमाम महत्वपूर्ण फाइलें जल गई। बांसी कोतवाली पुलिस को घटना की जांच सौंपी गई थी, पर इस जांच का भी कोई नतीजा न निकला।
- 13 मार्च 2013 को 36 शिक्षकों के विरुद्ध तत्कालीन बेसिक शिक्षाधिकारी भूपेन्द्र नारायण ¨सह ने सदर थाने में मुकदमा पंजीकृत कराया था। यहां भी मुकदमा दर्ज कर मामला क्राइम ब्रांच को दे दी गई। यहां से किसी तरह आरोप पत्र भेज दिया गया, पर वह चेहरे प्रकाश में आ ही नहीं सके कि यहां फर्जीवाड़े का रैकेट चलाने वाला आखिर कौन था। उसे छूट देने का नतीजा है कि यहां से समूचे शिक्षा विभाग पर हावी हैं।
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आखिर मुकदमा क्यों नहीं दर्ज करा रहा विभाग
विभाग को संदेह है कि जिले में बड़ी संख्या में फर्जी शिक्षक मौजूद है। उनकी जांच कठिन है। वह अपराध कर रहे हैं और जांच के दौरान हमले कर सकते हैं। बावजूद इसके विभाग ने इसे लेकर अभी तक थाने पर कोई तहरीर नहीं दी है। ऐसे में विभाग की भूमिका पर सवाल उठना लाजिमी है।
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पुलिस यदि निगरानी करेगी भी तो क्या, भीतर तो जाएगी नहीं। रात की ड्यूटी पर मौजूद चौकीदार ने बताया कि ताला तो शाम को ही टूटा हुआ था। पूछने पर बताया कि उसके बेटे की तबीयत खराब होने की वजह से वह रात में सूचना नहीं दे सका था। रात में उसके पास मोबाइल भी नहीं था। ऐसे में वह सूचित भी नहीं कर सका। फिलहाल अभी तक तहरीर नहीं मिली है। उसी के आधार पर आगे की जांच होगी।
मुन्ना लाल
अपर पुलिस अधीक्षक