..यहां भी है एक अयोध्या धाम
पथरा बाजार कम्हरिया बुजुर्ग कम्हरिया खुर्द नउआ गांव बनकटा किशुनपुरवा सेहरी घाट बनगवा बरगदी सेहरी सेवक सेहरी बुजुर्ग सिसवा सिसई कला सिसई खुर्द गनवरियाडड़वा राजा बूढ़ापार कपिया बुजुर्ग सुमहा अहिरौली लाला पेड़ार विशुनपुरवा पिपरा नानकार व मनिकौरा तिवारी आदि गांवों के लोगों की आस्था यहां जुड़ी है।
सिद्धार्थनगर: पवित्र अचिरावती (राप्ती) के तट पर भी एक अयोध्या धाम है। क्षेत्र के पचास गांव के लोग यहां स्नान दान करने आते हैं। कार्तिक पूर्णिमा के दिन इस बघिनी नानकार घाट पर विशाल मेला लगता है। यहां के नदी तट पर लोग शवों का अंतिम अंतिम संस्कार भी करते हैं। मान्यता है कि यहां अंतिम संस्कार करने से अयोध्या व काशी की भांति जीव को मुक्ति मिल जाती है।
विशाल पथरा ताल व नदी के मध्य स्थित इस पवित्र स्थल पर कार्तिक पूर्णिमा के दिन लोग भोर तीन बजे से ही गाते बजाते स्नान दान के लिए आने लगते हैं। यह नदी देवरिया जनपद के पास सरयू में विलीन हो जाती है, इसीलिए इसे उनका वामांगी माना जाता है। अचिरावती में डुबकी लगाकर पुण्य लाभ अर्जित करते हैं, तदुपरांत गो दान व अन्य दान का भी विधान है। यहां दिन में मेला भी लगता है, जिसमें हजार की संख्या में लोग इकट्ठा होते हैं। इसी बहाने अनेक नात-रिश्तेदारों का आपस में मेल मिलाप भी हो जाता है। इन गांवों का है इस मेले से खास लगाव
पथरा बाजार, कम्हरिया बुजुर्ग, कम्हरिया खुर्द, नउआ गांव, बनकटा, किशुनपुरवा, सेहरी घाट, बनगवा, बरगदी, सेहरी सेवक, सेहरी बुजुर्ग, सिसवा, सिसई कला, सिसई खुर्द, गनवरिया,डड़वा राजा, बूढ़ापार, कपिया बुजुर्ग, सुमहा, अहिरौली लाला, पेड़ार, विशुनपुरवा, पिपरा नानकार व मनिकौरा तिवारी आदि गांवों के लोगों की आस्था यहां जुड़ी है। यही नहीं नदिया के पार से बिमौवा, मगरगाहा, भैंसठ, बालेजिनवा, डड़वा घाट, जाल्हेखोर आदि से भी लोग लकड़ी के नाव में बैठकर इस पर्व में भाग लेने आते हैं। घाट के विकास के लिए बन रहा सेतु
इस घाट के महात्म्य को देखते हुए स्थानीय विधायक राघवेन्द्र प्रताप सिंह ने पहल करके उत्तर प्रदेश सरकार से पिछले वर्ष 26 करोड़ रुपये की लागत से सेतु स्वीकृत कराया था, जिसका निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है।