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निश्शुल्क खाद्यान वितरण की अवधि 19 तक बढ़ी

कार्डधारकों में निश्शुल्क खाद्यान और आयोडाइज्ड नमक चना व रिफाइंड आयल 19 जनवरी तक वितरण किया जाएगा। पोर्टबिल्टी की सुविधा है। लाभार्थी मूल या आसपास के कोटे की दुकान से खाद्यान सामग्री प्राप्त कर सकेंगे।

By JagranEdited By: Published: Mon, 17 Jan 2022 10:19 PM (IST)Updated: Mon, 17 Jan 2022 10:19 PM (IST)
निश्शुल्क खाद्यान वितरण की अवधि 19 तक बढ़ी
निश्शुल्क खाद्यान वितरण की अवधि 19 तक बढ़ी

सिद्धार्थनगर: कार्डधारकों में निश्शुल्क खाद्यान और आयोडाइज्ड नमक, चना व रिफाइंड आयल 19 जनवरी तक वितरण किया जाएगा। पोर्टबिल्टी की सुविधा है।

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लाभार्थी मूल या आसपास के कोटे की दुकान से खाद्यान सामग्री प्राप्त कर सकेंगे।

आयुक्त खाद्य तथा रसद विभाग सौरभ बाबू ने जिलाधिकारी व जिला पूर्ति अधिकारी को भेजे पत्र में कहा है कि अन्त्योदय एवं पात्र गृहस्थी कार्डधारकों को चावल-गेहूं के अलावा चना, नमक, रिफाइंड का निश्शुल्क वितरण अब 19 दिसंबर तक होगा। आवश्यक वस्तुओं का वितरण 15 से बढ़ाकर 17 जनवरी तक किया गया था। जनपदों से समीक्षा करने पर पाया गया की आपूर्ति विलंब होने के कारण अभी वितरण किया जाना अवशेष है। विचार विमर्श के बाद समय सीमा बढ़ाई गई है।

मोबाइल ओटीपी वेरिफिकेशन के माध्यम से वितरण की तिथि भी 19 जनवरी तक रहेगी। जिलापूर्ति अधिकारी बृजेश कुमार मिश्र ने कहा कि निश्शुल्क खाद्यान वितरण की तिथि 19 जनवरी तक बढ़ा दी गई है। इस संबंध में शासन से पत्र आया है। लाभार्थी उक्त तिथि में अपने मूल या आसपास की दुकान से खाद्यान के साथ अन्य सामग्री प्राप्त कर लें। पाला से फसल के बचाव के लिए दवा छिड़काव जरूरी

सिद्धार्थनगर: भीषण ठंड के बीच किसान अपनी फसलों की सुरक्षा को लेकर काफी चितित हैं। ठंडक के साथ पाला व कोहरा से फसलों को नुकसान होने की संभावना बनी हुई है। किसान दलहन व तिलहन फसल के साथ-साथ आलू आदि फसल की देखरेख में जुटे हुए हैं। कृषि वैज्ञानिक डा. मारकंडेय सिंह ने किसानों को सलाह देते हुए कहा कि तिलहन,दलहन व आलू फसल की सुरक्षा के लिए किसान मेंकोजेट 30 ग्राम प्रति टंकी का प्रयोग करके दवा का छिड़काव करते हुए फसल को सुरक्षित कर सकते हैं। उन्होंने किसानों को मेंकोजेट नामक दवा के अलावा सल्फर का छिड़काव की भी सलाह दी। क्षेत्र के नियांव नानकार निवासी प्रगतिशील किसान तिलकराम पांडेय का कहना है कि वर्तमान समय में आलू, दलहन व सरसों की फसल पर काफी प्रभाव पड़ रहा है। सरसों के पौधों में फूल व फल धीरे-धीरे निकलने का समय आ चुका है। ऐसे में फसल की सुरक्षा काफी जरूरी है।


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