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..हर चेहरे पर खौफ लिखा है, यह कैसी खुशहाली है

नगर पालिका अध्यक्ष ने कहा पुरानी नौगढ़ के रामलीला का इतिहास काफी पुराना है। यहां दो सौ वर्ष से मंचन हो रहा है। रामलीला का रथ भी काफी पुराना है। इसे काशी से मंगाया गया था। इसपर राम सीता व लक्ष्मण की झांकी निकाली जाती है। रामलीला के बाद मेला व रात को नौटंकी का आयोजन होता है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 28 Nov 2021 10:22 PM (IST)Updated: Sun, 28 Nov 2021 10:22 PM (IST)
..हर चेहरे पर खौफ लिखा है, यह कैसी खुशहाली है
..हर चेहरे पर खौफ लिखा है, यह कैसी खुशहाली है

सिद्धार्थनगर : दिन भी सूनी, रात भी वीरान और सहर भी काली है। हर चेहरे पर खौफ लिखा है, यह कैसी खुशहाली है। सद्भावना कमेटी उत्तर प्रदेश की ओर से डुमरियागंज राजकीय कन्या इंटर कालेज के मैदान में आयोजित कवि सम्मेलन व मुशायरे में मशहूर शायर जौहर कानपुरी की इस शायरी पर पूरा पंडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। शबीना अदीब ने खानदानी लोग लहजा नरम रखते हैं, तुम्हारा लहजा बता रहा है शोहरत नई-नई है पढ़कर खूब वाहवाही बटोरी। शाइस्ता सना ने जिदगी के लिए मर-मर के जिया जाता है, खून का घूंट भी हंस-हंसकर पिया जाता है पढ़ा तो सबा बलरामपुरी ने मंदिर भी तुम्हारा है मस्जिद भी तुम्हारी, बस इतनी गुजारिश है कि मिशमार न करना पढ़कर सर्द रात में भी लोगों को बांधे रखा। चरण सिंह बशर, राही बस्तवी, हाशिम फिरोजाबादी, आजाद प्रतापगढ़ी, भूषन त्यागी, शहजादा कलीम, यासिर सिद्दीकी, विकास बौखल, असद बस्तवी, सज्जाद हल्लौरी, आबाद सुल्तानपुरी, अचानक मउवी और फलक सुल्तानपुरी ने भी अपनी रचनाएं सुनाकर श्रोताओं का खूब मनोरंजन किया। संचालन नदीम फर्रूख ने किया। सपा नेता रामकुमार उर्फ चिकू यादव ने सभी को पुष्पगुच्छ व शॉल देकर सम्मानित किया। देर रात तक चले कार्यक्रम में भारी भीड़ रही, कुर्सियां कम पड गई तो लोगों ने जमीन पर ही बैठकर मुशायरे का का लुत्फ उठाया।

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काशी के कलाकारों ने किया रावण वध का मंचन

नगर पालिका अध्यक्ष श्याम बिहारी जायसवाल ने रविवार को पुरानी नौगढ़ कस्बा में प्राचीन रामलीला का शुभारंभ किया। राम, सीता व लक्ष्मण की आरती उतारी। काशी से आए रामलीला कलाकारों ने मेघनाथ-लक्ष्मण युद्ध, कुंभकरण को नींद से जगाने व रावण वध का मंचन किया।

नगर पालिका अध्यक्ष ने कहा कि पुरानी नौगढ़ के रामलीला का इतिहास काफी पुराना है। यहां दो सौ वर्ष से मंचन हो रहा है। रामलीला का रथ भी काफी पुराना है। इसे काशी से मंगाया गया था। इसपर राम, सीता व लक्ष्मण की झांकी निकाली जाती है। रामलीला के बाद मेला व रात को नौटंकी का आयोजन होता है। यहां की नौटंकी को देखने के लिए दूरदराज से लोग आते हैं। पूर्वांचल के कलाकार यहां पर हास्य व लोकगीत का कार्यक्रम प्रस्तुत करते हैं। रामलीला के दौरान बहुरुपिया कलाकार वेष बदल कर झांकी के साथ चलते हैं। जा सबके आकर्षण का केंद्र हैं। डा. शक्ति जायसवाल, प्रमोद कुमार, इंद्रेश, संतोष चौधरी, अजहर, मुन्ना बजाज, दीनानाथ अग्रहरि, मंगल, प्रदीप आदि मौजूद रहे।


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