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भोजन न पानी प्रशिक्षण की यहीं कहानी

भनवापुर ब्लाक क्षेत्र में इन दिनों बाल विकास परियोजना से जुड़ी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण हो रहा है। जहां पर अव्यवस्था पूरी तरह से हावी है। करीब 15 से 20 किमी दूर से चल कर आने वाले कार्यकर्ता पूरे-पूरे दिन भूखी-प्यासे रहकर प्रशिक्षण ले रहे हैं। भोजन न पानी प्रशिक्षण की यहीं कहानी लोगों की जुबान पर है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 07 Sep 2019 10:44 PM (IST)Updated: Sat, 07 Sep 2019 10:44 PM (IST)
भोजन न पानी प्रशिक्षण की यहीं कहानी
भोजन न पानी प्रशिक्षण की यहीं कहानी

सिद्धार्थनगर : भनवापुर ब्लाक क्षेत्र में इन दिनों बाल विकास परियोजना से जुड़ी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण हो रहा है। जहां पर अव्यवस्था पूरी तरह से हावी है। करीब 15 से 20 किमी दूर से चल कर आने वाले कार्यकर्ता पूरे-पूरे दिन भूखी-प्यासे रहकर प्रशिक्षण ले रहे हैं। भोजन न पानी प्रशिक्षण की यहीं कहानी लोगों की जुबान पर है।

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आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को हाइटेक करने के लिए इन दिनों उनका मोबाइल प्रशिक्षण चल रहा है। 10 से 4 बजे तक इस प्रशिक्षण में शामिल होने के लिए दूर-दूर से आंगनबाड़ी कार्यकर्ता आ रहे हैं। जिसके लिए यहां पर कोई सुविधा नहीं है। उमस भरी गर्मी में आंगनबाड़ी पसीने में तर दिखाई दी। न पंखे की कोई व्यवस्था और ही भोजन-पानी की। ब्लॉक सभागार में 25-25 का बैच बनाकर आगनंबाड़ी को गर्भावती, धात्री, नवजात व 2 वर्ष के बच्चों की पहचान कर उन्हें डिजिटल करने हेतु प्रशिक्षित किया जा रहा है। प्रशिक्षण के दौरान केवल एक बार चाय, समोसा मिलता है। शुद्ध पेयजल तक उपलब्ध नहीं कराया जाता है। भोजन की कोई व्यवस्था नहीं रहती है। बिजली व्यवस्था न होने के कारण प्रशिक्षणार्थियों को उमस भरी गर्मी में पूरे दिन जूझना पड़ता है। 20 किमी दूर बिजौरा से आने वाली सूरजपति, 21 किमी दूर वेतनार की मीना, 23 किमी दूर गागापुर की सुनीता, 25 किमी दूरी से आने वाली सरिता का कहना है कि पहले घर से पैदल सिगारजोत-शाहपुर मार्ग तक आना पड़ता है। फिर टेंपो से मन्नीजोत और वहां से 7 किमी दूर मुख्यालय तक पैदल आना पड़ता है। बाल विकास परियोजना अधिकारी अभय प्रताप सिंह ने कहा कि ब्लाक का जनरेटर खराब है, जिसके कारण बिजली की सुविधा नहीं मिल रही है। आने-जाने व भोजन के लिए विभाग से कोई धन आवंटन नहीं है। पानी सहित शेष व्यवस्था कराई जाती है।


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