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गांव में स्वास्थ्यकर्मी, अस्पताल में लटक रहा ताला

भनवापुर विकास खंड अंतर्गत बिजौरा के आसपास का क्षेत्र बाढ़ प्रभावित है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से इन दिनों बाढ़ग्रस्त क्षेत्र में कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है ऐसे में अस्पताल मरीजों के लिए बेमतलब साबित हो रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 12 Sep 2021 12:17 AM (IST)Updated: Sun, 12 Sep 2021 12:17 AM (IST)
गांव में स्वास्थ्यकर्मी, अस्पताल में लटक रहा ताला
गांव में स्वास्थ्यकर्मी, अस्पताल में लटक रहा ताला

सिद्धार्थनगर : भनवापुर विकास खंड अंतर्गत बिजौरा के आसपास का क्षेत्र बाढ़ प्रभावित है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से इन दिनों बाढ़ग्रस्त क्षेत्र में कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है, ऐसे में अस्पताल मरीजों के लिए बेमतलब साबित हो रहे हैं। न्यू प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बिजौरा बानगी है। यहां वर्षों से चिकित्सक का पद रिक्त चल रहा है। फार्मासिस्ट व वार्ड ब्वाय की तैनाती है। अस्पताल में ताला लटक रहा है।

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शनिवार को 11.45 पर पीएचसी का मुख्य गेट तो खुला मिला, परंतु अंदर अस्पताल भवन में ताला बंद था। परिसर में जलभराव था और गंदगी फैली थी। नल से निकल रहे पानी की शुद्धता सवालों के घेरे में है। ऐसे में जिस दिन अस्पताल खुलता है, उस दिन मरीजों व तीमारदारों को पेयजल का संकट रहता है। बिजौरा समेत सफीपुर, सिगारजोत, गागापुर, सिकंदरपुर, डोमसरा, परसोहिया तिवारी गांवों के लोगों की स्वास्थ्य सुविधा इसी अस्पताल से जुड़ी है। संबंधित गांवों बाढ़ प्रभावित हैं। ऐसे में अचानक किसी की तबीयत खराब हो जाए तो यहां इमरजेंसी में भी कोई स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिल पाती है। वर्ष 2005-06 में पीएचसी स्थापित हुई। वर्ष 2017 में एक चिकित्सक की तैनाती हुई, कुछ ही वर्षों में उनका स्थानांतरण हो गया। फिर किसी डाक्टर की तैनाती यहां नहीं हुई। इधर मुख्य चिकित्साधिकारी ने करीब एक-डेढ़ महीने पहले डा. आरएन पांडेय की तैनाती इस अस्पताल पर की, लेकिन अब तक वह यहां कार्यभार संभालने नहीं आए। मेडिकल अवकाश पर हैं। आकस्मिक सेवाएं तक बंद हैं। नीलेश शुक्ल ने कहा कि पिछड़े क्षेत्र में अस्पताल का निर्माण इस उद्देश्य से कराया गया कि क्षेत्रवासियों को सुलभ व सस्ती स्वास्थ्य सुविधाएं मिल जाएं। परंतु उद्देश्य की पूर्ति नहीं हो रही है। डाक्टर है नहीं। कोई स्वास्थ्य कर्मी यहां नहीं मिलता है। दिनेश का कहना है कि छोटे-छोटे बच्चे खांसी, जुकाम, बुखार से पीड़ित हैं, ऐसे में कोई अस्पताल जाता है तो निराशा हाथ लगती है। मौसम और बाढ़ को देखते हुए ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए कि इमरजेंसी में जरूरी सेवाएं संचालित रह सकें। साबिरा ने कहा कि डाक्टर और न ही कोई जांच सुविधा है, ऐसे में अस्पताल बेमतलब है। स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर न होने से इधर के लोग इलाज के लिए उतरौला जाया करते थे, परंतु सिगारजोत पुल का एप्रोच कटने के कारण आवागमन पूर्णत: बंद है। ओम प्रकाश चौहान ने कहा कि जिम्मेदारों को ऐसी व्यवस्था बनानी चाहिए कि यदि आकस्मिक अवसर पर कोई अस्पताल आ जाए तो उनके लिए प्राथमिक उपचार की सुविधा उपलब्ध रहे, अस्पताल पर किसी के न रहने से मरीजों को बहुत दिक्कतें हो रही हैं। भनवापुर चिकित्साधिकारी प्रभारी डा. शैलेंद्र मणि ओझा ने कहा कि अस्पताल में 10-15 मरीज आते हैं, जबकि क्षेत्र में टीमों जाती हैं तो काफी लोगों को सेवाएं मिल जाती हैं। इस समय बौनाजोत में टीम गई है। दो अन्य टीमें भी कार्य कर रही हैं। विशुनपुर औरंगाबाद, बिजौरा, आजाद नगर, गागापुर गांवों आज की कार्ययोजना में शामिल है। इसीलिए अस्पताल पर कोई नहीं है। कम संसाधन में जो संभव होता है, वह बेहतर किया जाता है।


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