दो वर्ष से अस्पताल में चिकित्सक का टोटा, सुविधाएं भी नहीं
सिद्धार्थनगर भनवापुर ब्लाक अन्तर्गत न्यू प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बिजौरा समस्याओं से घिरा है। लाखों
सिद्धार्थनगर : भनवापुर ब्लाक अन्तर्गत न्यू प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बिजौरा समस्याओं से घिरा है। लाखों की लागत से भवन तो बनाया गया, परंतु सुविधाओं की स्थिति यह है कि अस्पताल में दो वर्ष से किसी चिकित्सक की तैनाती नहीं है। फार्मासिस्ट के भरोसे अस्पताल चल रहा है। जांच की कोई सुविधा नहीं है, दवाओं की उपलब्धता की हालत यह है कि पैरासिटामाल जैसी जरूरी दवाएं यहां नहीं है।
अति पिछड़े क्षेत्र में ग्रामीणों को सस्ती स्वास्थ्य सुविधा मिले, इस उद्देश्य से यहां वर्ष 2015 में न्यू पीएचसी की स्थापना की गई। फार्मासिस्ट व डाक्टर की तैनाती हुई। मगर वर्ष 2017 में चिकित्सक का स्थानांतरण हो गया। इसके बाद एक और चिकित्सक की तैनाती हुई, परंतु वह यहां कभी आए ही नहीं। इधर करीब दो साल से डाक्टर का पद रिक्त चल रहा है। जो भी मरीज आते हैं, उन्हें देखने और दवा देने का काम फार्मासिस्ट रमेश मिश्र करते हैं। सीएचओ मेनिका सिंह, वार्ड ब्वाय अम्बुज श्रीवास्तव की तैनाती जरूर है, मगर बिना डाक्टर अस्पताल मरीजों के लिए बेमतलब साबित हो रहा है। अस्पताल में आवासीय भवन की स्थिति बहुत खस्ता है, तो पानी के लिए लगा नल खराब है। जिससे शुद्ध पेयजल का संकट बना रहता है। शौचालय उपेक्षित है। सोमवार को अस्पताल पर पैरासिटामाल की दवा नहीं थी, पोवीडिन मरहम भी उपलब्ध नहीं था। खांसी का सीरप मात्र 6 शीशी था। फार्मासिस्ट का कहना है कि सर्दी, खांसी, जुकाम की दवाएं मौजूद हैं। कुछ दवाएं खत्म हुई, जो एक-दो दिन में आ जाएंगी। क्षेत्रवासियों में रमेश कुमार, जाकिर, सिराज, जियाउद्दीन, अक्षय शुक्ल, योगेन्द्र कुमार का कहना है कि अस्पताल में सुविधाओं के साथ चिकित्सक की तैनाती कर दी जाए, तो हजारों की आबादी वाले इस क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवा बेहतर हो जाए। समस्या संज्ञान में है। अस्पताल में फार्मासिस्ट के अलावा सीएचओ, दो एएनएम की तैनाती की गई है। सप्ताह में एक दिन ओपीडी की व्यवस्था भी कराते हैं। डाक्टर की कमी है, इसके लिए ऊपर लिखा-पढ़ी की गई हैं। जहां तक अन्य सुविधाओं की बात है, उसके लिए भी प्रयास किया जा रहा है।
डाक्टर शैलेंद्र मणि ओझा, प्रभारी चिकित्साधिकारी भनवापुर