भंडारण सुविधा बंद होने से आलू की खेती से मोहभंग
क्षेत्र में आलू का अच्छा खासा रकबा था क्योंकि कठौतिया आलम (बढ़नी) में चार हजार टन क्षमता का कोल्डस्टोरेज संचालित था। किसान बड़े पैमाने पर न सिर्फ अगेती आलू की खेती करते थे बल्कि भंडारण कर सीजन के बाद भी आलू की बिक्री कर मुनाफा कमाते थे।
सिद्धार्थनगर : क्षेत्र में आलू का अच्छा खासा रकबा था क्योंकि कठौतिया आलम (बढ़नी) में चार हजार टन क्षमता का कोल्डस्टोरेज संचालित था। किसान बड़े पैमाने पर न सिर्फ अगेती आलू की खेती करते थे, बल्कि भंडारण कर सीजन के बाद भी आलू की बिक्री कर मुनाफा कमाते थे। वर्ष 1994 में कोल्डस्टोरेज बंद क्या हुआ, आलू की खेती से किसानों का मोहभंग होता गया।
वर्ष 1988 में ग्राम पंचायत कठवतिया आलम में पीसीएफ ने चार हजार टन क्षमता वाले कोल्डस्टोरेज का निर्माण कराया था। बड़े पैमाने पर किसान आलू की खेती से जुड़े और आय बढ़ाने लगा। कुछ वर्षों तक तो सबकुछ ठीक रहा, लेकिन वर्ष 1994 में इस कोल्डस्टोरेज में रखा आलू सड़ गया और किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा। तभी से इस कोल्डस्टोरेज की मशीन बदलवाने की जगह संचालन ही बंद कर दिया गया। भवन जर्जर है और मशीनें जंग खा रही हैं। स्थानीय किसानों ने लगातार संचालन के लिए आवाज उठाई, लेकिन उनकी मांग अनसुनी है। कपिल पांडेय, तौहीद हुसेन, कुलदीप पांडेय, गोविद पांडेय, महीबुल्लाह आदि किसानों ने बताया कि इस कोल्डस्टोरेज से काफी सहूलियत थी। किसान बड़े पैमाने पर आलू पैदाकर भंडारण भी करते थे, भंडारण सुविधा छिनने से किसान सिर्फ निजी उपयोग के लिए आलू उगाने तक सीमित हैं। जिला मैनेजर पीसीएफ अमित चौधरी ने कहा कि कोल्डस्टोरेज का संचालन संभव नहीं है, क्योंकि मशीनें खराब हो चुकी हैं। इसे गोदाम में परिवर्तित करने के लिए शासन से पत्राचार किया जा रहा है। बृजेश चौधरी ने कहा कि जब बढ़नी में कोल्ड स्टोरेज की सुविधा थी तब आलू बोने में आसानी था क्योंकि भंडारण की सुविधा होने की वजह से सड़ने का डर नहीं था तो बोने में भी डर नहीं था लेकिन अब भंडारण की सुविधा न रह जाने से आलू बोने का रकबा बहुत ही घट गया है अब मैं करीब अट्ठारह मंडी ही आलू बोता हूं। रामपुजारी ने कहा कि जब कोल्ड स्टोरेज था तब करीब पांच बीघे आलू बोता था भंडारण की सुविधा बढ़नी में उपलब्ध थी मगर जब से भंडार गृह बन्द हुआ उसके बाद एक बीघा ही बोता हूं। संजय कुमार ने कहा कि कोल्ड स्टोरेज की सुविधा न होने से बहुत ही असुविधा हो रही है पहले हमारे घर पर करीब चार बीघे आलू बोया जाता था, लेकिन भंडारण की सुविधा न होने से अब हिम्मत ही नहीं हो रही है। पंकज यादव ने कहा कि
पहले बढ़नी में भंडारण की बेहतर सुविधा थी तब मेरे परिवार के लोग आलू लगाने में खूब रुचि लेते थे, लेकिन अब भंडारण की सुविधा न रह जाने से सड़ने के डर से केवल एक बीघे ही आलू खाने भर को बोते हैं।