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16 वर्ष से ध्वस्त है पुलिया, जिम्मेदार बेखबर

वर्ष 2002 में बनुहिया में सरयू नहर ड्रेन पर बनाई गई थी पुलिया

By JagranEdited By: Published: Fri, 25 Dec 2020 11:07 PM (IST)Updated: Fri, 25 Dec 2020 11:07 PM (IST)
16 वर्ष से ध्वस्त है पुलिया, जिम्मेदार बेखबर
16 वर्ष से ध्वस्त है पुलिया, जिम्मेदार बेखबर

सिद्धार्थनगर: एक तरफ आवागमन के लिए सड़कों का जाल सरकार बिछा रही तो दूसरी तरफ अर्से से ध्वस्त पुलियों पर जिम्मेदारों की निगाह ही नहीं पड़ रही। खेसरहा विकास खंड के बनुहिया स्थित सरयू नहर ड्रेन पर वर्ष 2002 में बनी पुलिया इसकी बानगी है। बनने के दो वर्ष बाद ही यह ध्वस्त हुई तो आज तक नहीं बन सकी।

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छपवा, वनगवा, बेलौहा, नगवा, बनुहिया बुजुर्ग, मुडिला आदि दो दर्जन गांवों के आवागमन को सुलभ कराने के लिए बनुहिया खुर्द व बुज‌रु्ग के बीच स्थित सरयू नहर के ड्रेन पर उक्त पुलिया का निर्माण 12 लाख की लागत से तत्कालीन शिक्षक विधायक पंचानन राय ने अपने निधि से कराया था। निर्माण के दो वर्ष बाद ही पुरा पुल एकाएक ध्वस्त हो गया। पुल के गिर जाने से सबसे अधिक बरसात के दिनों में दिक्कत होती है। लोगों को एक से दूसरे गांवों पर जाने के लिए छह किमी का चक्कर लगाना पड़ता है। जब ड्रेन में पानी नहीं होता तो पैदल वाले लोग बीच में बने मेढ़ के सहारे इस पार से उस पार आया जाया करते हैं। प्रधान मरवटिया रमजान अली, मधुसूदन राय, दुर्गेश राय, प्रमोद राय, राज किशोर राय, जाफर अली, राहत अली आदि का कहना है कि इसके पुन: निर्माण के लिए शासन स्तर पर पत्र लिखकर व क्षेत्रीय जन प्रतिनिधियों से कई बार गुहार लगा चुका हूं। आश्वासन मिलने के बाद भी आज तक पुल का निर्माण नहीं हो सका। कब्जे में आंगनबाड़ी भवन, जिम्मेदार बेखबर

सिद्धार्थनगर : धात्री, गर्भवती व नौनिहालों के स्वास्थ्य व शिक्षा की जिम्मेदारी ओढ़े बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग लचर व्यवस्था में लाचार दिखाई पड़ रहा है। लाखों की लागत से बने कई आंगनबाड़ी भवन बिना हैंडओवर हुए ही जर्जर हो रहे हैं। विकास खंड के पेड़ारी बुजुर्ग स्थित ऐसे ही एक भवन में ग्रामीणों का कब्जा हो गया है। गांव के एक व्यक्ति ने भूसी, कंडा, पंप सेट इत्यादि रख लिया है।

सात लाख की लागत से वर्ष 2015 में बना यह आंगनबाड़ी भवन भी अभी तक विभाग को हैंडओवर नहीं हो सका और जर्जर अवस्था में पहुंच गया है। बिना उपयोग के ही भवन की दीवाल बैठ गई है तथा खिड़कियां, फर्श वगैरह पूरी तरह टूट गए हैं। भवन निर्माण के समय ठेकेदार द्वारा की गई मानकों की अनदेखी से विभाग इसे लेने से कतरा रहा है। आज भी केंद्र गांव के प्राथमिक विद्यालय में संचालित हो रहा। जबकि इस केंद्र में वर्तमान में 82 बच्चे पंजीकृत है। खुद का भवन होने के बाद भी प्राथमिक विद्यालय के एक कक्ष में इसके संचालन से ग्रामीणों में आक्रोश भी व्याप्त है। लोगों का कहना है कि विभाग की अनदेखी के कारण ही सात लाख की लागत से बना भवन उपेक्षित पड़ा है। मेरे द्वारा पूर्व में भवन का निरीक्षण कर कब्जा हटाने के लिए निर्देशित किया गया है। यदि भी कब्जा बरकरार है तो जांच कर मैं कार्रवाई की संस्तुति करूंगा।

अभय सिंह

सीडीपीओ खेसरहा


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