सिर्फ इमरजेंसी में होता है मरीजों का कोविड टेस्ट
ोरोना संक्रमण का दायरा बढ़ता जा रहा है। सर्दी- जुकाम बुखार होते ही लोग अस्पतालों की ओर दौड़ रहे लेकिन सरकारी अस्पतालों में सिर्फ इमरजेंसी केस ही देखे जा रहे। कोरोना जांच की व्यवस्था बहुत लचर है। सिर्फ भर्ती हुए मरीजों का एंटीजन। टेस्ट किया जा रहा है।
डुमरियागंज, सिद्धार्थनगर : कोरोना संक्रमण का दायरा बढ़ता जा रहा है। सर्दी- जुकाम, बुखार होते ही लोग अस्पतालों की ओर दौड़ रहे, लेकिन सरकारी अस्पतालों में सिर्फ इमरजेंसी केस ही देखे जा रहे। कोरोना जांच की व्यवस्था बहुत लचर है। सिर्फ भर्ती हुए मरीजों का एंटीजन। टेस्ट किया जा रहा है। बाकी बीमारों को आरटीपीसीआर कराने को कहा जा रहा है जिसकी रिपोर्ट आने में ही सप्ताह भर का वक्त लग जा रहा। तबतक अगर व्यक्ति संक्रमित है तो उसपर कोई बंदिश नहीं है।
जिले की सर्वाधिक महत्वपूर्ण बेवां सीएचसी कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच संसाधनों की कमी से हांफ रही है। यहां इमरजेंसी केस देखे जरूर जा रहे हैं, लेकिन मेडिकल आक्सीजन की कोई व्यवस्था नहीं है। मौजूदा समय में हर बीमार सर्वप्रथम कोरोना जांच रिपोर्ट जानने के बाद ही इलाज कराना चाहता है, लेकिन यहां कोरोना के तत्काल जांच की सुविधा केवल गंभीर मरीजों के लिए है। बाकी और कोई जांच कराने आए तो उसके आरटीपीसीआर की व्यवस्था है। आसपास के जिलों में लैब की व्यवस्था ही नहीं है, इसलिए लखनऊ नमूना जाता है। रिपोर्ट आने में सप्ताह भर का समय लगता है। इस बीच अगर कोई संक्रमित है तो रिपोर्ट मिलने से पहले न जाने कितनों को महामारी बांट चुका होगा। राहुल सिंह, मो. इजहार, सत्यम मोदनवाल, रामप्रवेश आदि ने कहा कि अस्पताल में एंटीजन किट ही नहीं है। इसलिए इमरजेंसी में भर्ती कराने के बाद भी लोगों की जांच नहीं हो रही। सीएचसी अधीक्षक डा. वीएन चतुर्वेदी ने कहा कि एंटीजन किट की डिमांड हुई है। आरटीपीसीआर जांच ही इस समय सर्वोत्तम है, लेकिन रिपोर्ट आने में समय लगता है। हम जांच कराने पहुंच रहे बीमारों को घर पर रहने व कोविड नियमों के अनुपालन की सलाह दे रहे हैं।