नेटवर्क न मिलने से उपभोक्ता परेशान
क्षेत्र में लगे मोबाईल के टावर हाथी दांत साबित हो रहे हैं। टावर के नीचे खड़े होने के घण्टों बाद भी किसी से बात करना टेढ़ी खीर साबित हो रही है। क्योंकि अधिकतर कंपनियों के टावर सिर्फ बिजली के भरोसे ही चल रहे हैं। पावरकट के दौरान उन्हें डीजल नहीं मिल रहा। ऐसे में जब बिजली होती है तभी तक नेटवर्क मिलता है।
सिद्धार्थनगर : क्षेत्र में लगे मोबाईल के टावर हाथी दांत साबित हो रहे हैं। टावर के नीचे खड़े होने के घण्टों बाद भी किसी से बात करना टेढ़ी खीर साबित हो रही है। क्योंकि अधिकतर कंपनियों के टावर सिर्फ बिजली के भरोसे ही चल रहे हैं। पावरकट के दौरान उन्हें डीजल नहीं मिल रहा। ऐसे में जब बिजली होती है तभी तक नेटवर्क मिलता है।
क्षेत्र के परसा हुसेन, औराताल, टिकरिया, कुसुम्ही, कुसहटा, सेखुई, परसा, कुंडी, जिमड़ी, आदि गांवों के ह•ारों मोबाइल धारक नेटवर्क समस्या से जूझ रहे हैं। मोबाईल नेटवर्क प्रवाइडर कम्पनियों के कई टावर इन ग्रामीण क्षेत्रों में लगे हैं, परन्तु इनका लाभ उपभोक्ताओं को नहीं मिल रहा है। परसा हुसेन में लगा टावर बिजली रहने पर ही चलता है। बिजली गुल होने पर नेटवर्क भी गायब हो जाता है। एक संचार कंपनी के तकनीकी सहायक पंकज सिंह ने बताया की कम्पनी का निर्देश है कि जो टावर मुनाफे में हैं, अर्थात कस्बाई हैं उन्हें ही डीजल दिया जाए। बाकी विद्युत आपूर्ति होने पर ही संचालित होते हैं, इसलिए समस्या बनी हुई है। घबराएं नहीं, संक्रमित हैं तो जल्द होंगे स्वस्थ सिद्धार्थनगर: साहित्यकार मणेंद्र मिश्र मशाल ने बताया कि छह अप्रैल को पत्नी श्वेता ओझा वाणिज्य कर अधिकारी सेक्टर नौ लखनऊ अपने आफिस वाणिज्यकर भवन हजरतगंज से शाम को घर आईं। रात में उन्हें हल्का बुखार और दर्द था। सुबह यह जानकारी मिलने पर मैंने अपने डाक्टर आशुतोष वर्मा से बात किया। लखनऊ में उस समय संक्रमण धीरे धीरे फैल रहा था। सुबह ही हम लोग जांच के लिए बहराइच जिला अस्पताल चले गए, जहां हमारे बहनोई सीनियर लैब टेक्नीशियन हैं। जांच में पत्नी और 10 महीने का बेटा दोनों लोग का एंटीजन रिपोर्ट पाजिटिव आया,जबकि मैं और तीन साल की बिटिया का रिपोर्ट निगेटिव आया। मेरा वायरस लोड बार्डर पर था। बिटिया को तत्काल बहन के यहां भेज दिए। एक कमरे में पत्नी और बेटा जबकि दूसरे कमरे में मैं होम आइसोलेट हो गए। अगले दिन मुझे भी बुखार और गले में खराश आ गयी। नौ की सुबह अपना एंटीजन टेस्ट करवाने पर पाजिटिव आया। पत्नी को लगातार सात दिन और बेटे को चार दिन बुखार आया। मुझे पांच दिन तक बुखार रहा। बेटे को डाक्टर की सलाह पर नेबुलाइजेशन करवाता रहा। सातवें दिन पत्नी का आक्सीजन लेवल कम होने लगा ऐसे में हम तीनों लोग एक ही कमरे में हो गए। खाने का स्वाद मिलने में 13 दिन का समय लगा। 15वें दिन आरटीपीसीआर टेस्ट करवाया गया। अगले दिन रिपोर्ट निगेटिव आयी। भाप,समय से दवा,डाक्टर के संपर्क या सरकार द्वारा जारी अनुदेश का पालन करने से इस महामारी से जीता जा सकता है। आक्सीजन स्तर बढ़ाने के लिए पेट के बल लेटना,योग और प्राणायाम जरूर करें। धैर्य के साथ मन मजबूत रखें हमारा शरीर भी एक डाक्टर है जो धीरे धीरे हमारे अंदर के वायरस को कम करने की क्षमता रखता है। सतर्क-सुरक्षित रहिये,मास्क एवं सैनिटाइजर का प्रयोग करते हुए संक्रमण से स्वयं बचिए और दूसरे को बचाइए।