नागरिकों ने कहा, खुले भारत- नेपाल की सीमा
मुख्य विकास अधिकारी पुलकित गर्ग ने रविवार को नगरपालिका सभागार में काव्य संकलन गुनगुनाओं मेरे साथ का विमोचन किया। स्थानीय कवि पंकज सिद्धार्थ ने स्वरचित काव्य संग्रह को पुस्तक का स्वरूप प्रदान किया है। कवि सम्मेलन का भी आयोजन किया गया।
सिद्धार्थनगर: कोरोना संक्रमण के कारण बीते वर्ष 22 मार्च से ही बंद भारत नेपाल सीमा खुलने का इंतजार कर रहे नागरिकों का धैर्य अब जवाब देने लगा है। नेपाल के नागरिक अपनी ही सरकार के विरोध में उतर आए हैं। रविवार को बार्डर सीमा पर प्रदर्शन करते हुए वृहद आंदोलन की चेतावनी दी। सरकार को चेताया कि यदि मांगें पूरी नहीं हुईं तो वृहद आंदोलन किया जाएगा।
कोरोना संक्रमण के कारण ककरहवा बार्डर पूरी तरह से बंद है। इस रास्ते लोग पैदल सफर भी नहीं कर सकते हैं। व्यापार पूरी तरह से चौपट हो गया है। स्थानीय लोगों का जीवन शैली बिल्कुल स्थिर हो गई है। विश्व हिदू परिषद के जिला अध्यक्ष ओमकार पांडे के नेतृत्व में प्रदर्शन कर रहे लोगों ने कहा कि कोरोना संक्रमण के बाद सारी चीजें धीरे-धीरे सामान्य हो रही हैं। इसके बावजूद भारत-नेपाल सीमा को बंद रखने का फैसला सरकार की दोहरे मानसिकता का परिचायक है। भारत और नेपाल के बीच रोटी बेटी का रिश्ता होने के कारण दोनों देशों के नागरिकों का आना जाना लगा रहता है। ऐसे में नेपाल सरकार का लगातार सीमा को बंद रखने का निर्णय अब राजनीतिक द्वेषता का प्रतीत हो रहा है। इस्तियाक, संजय जायसवाल, प्रकाश हरिजन, शमशुलहुदा, शिवप्रसाद कोहार, दिलीप गौड़, शोयेब आलम ,मुजीबउर रहमान, चंदू बरई, रमेश गुप्ता, वीरेंद्र साहनी, मोहम्मद रईस आदि मौजूद रहे।
काव्य संकलन का हुआ विमोचन, कविता से सजा मंच
मुख्य विकास अधिकारी पुलकित गर्ग ने रविवार को नगरपालिका सभागार में काव्य संकलन गुनगुनाओं मेरे साथ का विमोचन किया। स्थानीय कवि पंकज सिद्धार्थ ने स्वरचित काव्य संग्रह को पुस्तक का स्वरूप प्रदान किया है। कवि सम्मेलन का भी आयोजन किया गया। कवियों ने अपनी-अपनी कविता का पाठ किया।
सीडीओ ने कवि दुष्यंत कुमार की पंक्ति, हो कही भी आग लेकिन आग जलनी चाहिए को सुनाया। कहा किताब लिखना बहुत बड़ी बात है, मेरे की ओर से कई बार प्रयास किया गया लेकिन एक-दो लाइन से अधिक कभी भी नहीं लिख सका। कविता लिखना काफी कठिन काम है। विचारों के समुद्र से शब्दों के मोती जैसे पिरोना होता है। अध्यक्ष नगरपालिका सिद्धार्थनगर श्यामबिहारी जायसवाल ने कहा कविता लिखने के लिए शब्दों की जानकारी होनी चाहिए। डा. ज्ञानेंद्र द्विवेदी दीपक, जमाल कुद्दूसी, नूर काशमी, ब्रह्मदेव शास्त्री पंकज, सालिक बस्तवी, डा. अब्दुल्ला फैसल, डा. निया•ा आजमी, रियाज कासिद, डा. जावेद कमाल, डा. रामआशीष यादव, जावेद सरवर, ओमप्रकाश गौतम, अनुराग कुमार, साहिल कपिलवस्तुवी, संघशील झलक, शिवसागर सहर, अरुणेश विश्वकर्मा आदि ने अपने काव्य का पाठ किया। संचालन नितेश पांडेय ने किया। प्रधानाचार्य सिंहेश्वरी इंटर कालेज कैप्टन नीरज श्रीवास्तव, श्रीधर पांडेय, अमित त्रिपाठी, विक्रांत मणि त्रिपाठी, अरुण कुमार प्रजापति, मेराज अहमद, सपना पांडेय, धीरज गुप्ता, रोहित कसौधन, प्रदीप ठकुराई, मणिकांत दुबे, शिवदत्त तिवारी, अंशुमान त्रिपाठी, नूर मोहम्मद आदि मौजूद रहे।