बदलती रही विवेचना, हटते रहे नाम
जनपद पुलिस की स्थिति अजीबो गरीब है। डुमरियागंज क्षेत्र में एक मामले का वह पांच वाहनों का चालान किया गया
सिद्धार्थनगर : जनपद पुलिस की स्थिति अजीबो गरीब है। डुमरियागंज क्षेत्र में एक मामले का वह पांच बार विवेचना कर चुकी है। इस मामले में जितनी बार भी विवेचना हुई आरोपितों के नाम हट जाते हैं। पुलिस के कार्य प्रणाली व विवेचना को भी कटघरे में खड़ा कर रहा है।
डुमरियागंज थाना में 20 फरवरी 2015 को मार्ग दुर्घटना में मृत्यु हो गई। 24 फरवरी को पुलिस द्वारा अभियुक्त के खिलाफ कार्यवाही न किए जाने से नाराज हो कर धरना किया। मौके पर शांति व्यवस्था बनाये रखने के लिए पहुंची पुलिस से हाथा पाई हो गई। इसमें पुलिस के लोग चोटिल हुए। एसएसआई हरिसेवक शुक्ला के तहरीर पर मुकदमा अपराध संख्या 163/14, धारा 147,148,149,323,504, 506,323, 353 427, 186, 189, 307 मुकदमा कराकर पुलिस ने 43 लोगो को नामित किया। इसमें तीन अभियुक्त गिरफ्तार हुए। इन्हें तीन माह जेल में बिताने के बाद उच्च न्यायालय से जमानत मिल गई। इनका मुकदमा सत्र परीक्षण के तहत अपर जिला न्यायालय में विचाराधीन है। 9 नवम्बर 2017 को विवेचक उपेंद्र नाथ राय को दूसरी बार विवेचना सौपी गई। विवेचना सरकार बनाम दिलीप पांडेय के नाम पर शुरू हुई। द्वितीय आरोप पत्र जब विवेचक ने आरोप पत्र न्यायालय में सौंपा। मुकदमा संख्या 573/2017 सरकार बनाम दिलीप पांडेय व 47 नामित आरोपितों से चार को क्लीन चिट देते हुए 43 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित किया। तीसरी बार पुन: विवेचना अपराध शाखा के रमाकांत यादव को सौंपी गई। इन्होंने विवेचना किया, जिसमें से 10 लोगो का नाम घटा कर 37 लोगो के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया, जो 31 जनवरी 2018 को समाप्त हो गई। हद तो तब हो गई जब चौथी बार एक कद्दावर नेता के सिफारिश पर चौथी बार विवेचना अपराध शाखा के उदय प्रताप ¨सह को सौंपी गई। जिन्होंने काफी मेहनत करके पूर्व में हुए तीनो विवेचना को आइना दिखाते हुए 47 में से 23 को क्लीन चिट देते हुए। आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित किया। बुरा तो तब हुआ जब अभियुक्त बनाए हुए कुछ लोगो ने आपने अधिवक्ता के माध्यम से सभी आरोप पत्रों को आधार बनाते हुए मुख्य न्यायिक दंडा अधिकारी के अदालत में आए आरोप पत्र पर संज्ञान लेने हेतु आवेदन दिया। मुख्य न्यायिक दंडा अधिकारी संजय चौधरी ने कहा कि पूर्व में संज्ञान लिए गए आरोप पत्र ही प्रभावी होंगे। और सभी अभियुक्तों पर गैर जमानती वारंट जारी करने का आदेश दिया।
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मामला संज्ञान में नहीं था। मामला संज्ञान में आया है तो इसकी अपर पुलिस अधीक्षक से जांच करा रहा हूं।
डा.धर्मवीर ¨सह
पुलिस अधीक्षक