निवास सिद्धार्थनगर में दस्तावेज पाने के लिए जाते हैं बलरामपुर
जनपद बस्ती के उत्तरी भाग को अलग कर 29 दिसंबर 1988 को सिद्धार्थनगर जिला बनाया गया। इसका पश्चिमी भाग श्रावस्ती बलरामपुर गोंडा बस्ती आदि जिलों से जुड़ता है। पश्चिमी छोर का एक गांव भड़रिया बलरामपुर जिले के बार्डर पर स्थित है।
सिद्धार्थनगर :जनपद बस्ती के उत्तरी भाग को अलग कर 29 दिसंबर 1988 को सिद्धार्थनगर जिला बनाया गया। इसका पश्चिमी भाग श्रावस्ती, बलरामपुर, गोंडा, बस्ती आदि जिलों से जुड़ता है। पश्चिमी छोर का एक गांव भड़रिया बलरामपुर जिले के बार्डर पर स्थित है। इसी गांव का पुरवा है गजनीजोत। यह सिद्धार्थनगर में है और इसका राजस्व गांव रसूलाबाद बलरामपुर जिले में है। लोगों को प्रपत्रों में बलरामपुर जिले का उल्लेख है। इसलिए इस पुरवा के लोगों को न तो सरकारी योजनाओं का लाभ जिले से मिलता है और न ही कृषि ऋण के लिए यहां के लोग केसीसी ही बनवा पाते हैं। पिछले 33 वर्षों से यहां के लोग सरकारी अभिलेखों में गड़बड़ी का दंश झेल रहे हैं। कई बार इस बावत प्रार्थनापत्र दिया गया कि गजनीजोत को सिद्धार्थनगर के अभिलेखों में दर्ज किया जाए, लेकिन अब तक ऐसा नहीं हुआ। एसडीएम त्रिभुवन ने कहा जांच करवाकर अभिलेखों की गड़बड़ी ठीक कराएंगे। ......
56 वर्षीय शिवकरण व 70 वर्षीय जयकरण का कहना है कि बुजुर्गों से सुनते थे कि रसूलाबाद पहले गोंडा जिले में था बाद में इसे बलरामपुर जिला घोषित किया गया। दोनों जिलों के बीच कई दशक पहले एक सुआव नाला बना। जिसके बाद रसूलाबाद बलरामपुर में व गजनीजोत सिद्धार्थनगर जिले में आ गया। अभी तक आधार कार्ड, निवास प्रमाण पत्र व अन्य अभिलेखों में हमारे जिले का नाम बलरामपुर ही अंकित है।