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अटेवा ने बनाई पदयात्रा को सफल बनाने की रणनीति

जिलाध्यक्ष ब्रजेश द्विवेदी ने कहा कि पदयात्रा को सफल बनाने के लिए सभी लोगों को सहयोग में आगे आने की आवश्यकता है। जिला महामंत्री सुरेंद्र कुमार गुप्ता ने कहा कि सरकार को पुरानी पेंशन हर हाल में बहाल करना पड़ेगा।

By JagranEdited By: Published: Mon, 04 Oct 2021 01:19 AM (IST)Updated: Mon, 04 Oct 2021 01:19 AM (IST)
अटेवा ने बनाई पदयात्रा को सफल बनाने की रणनीति
अटेवा ने बनाई पदयात्रा को सफल बनाने की रणनीति

सिद्धार्थनगर: अटेवा पेंशन बचाओ मंच जिला इकाई ने रविवार को नौगढ़ तहसील परिसर में बैठक की, जिसमें 22 अक्टूबर को पुरानी पेंशन योजना बहाल करने की मांग को लेकर पदयात्रा व रैली निकालने की रूपरेखा बनाई। कार्यक्रम को सफल बनाने की रणनीति तैयार की। मंडल अध्यक्ष बलवंत चौधरी ने कहा कि पुरानी पेंशन सभी कर्मचारियों व शिक्षकों की आवश्यकता है। राजनीतिक दलों को इस संबंध में सोचना चाहिए। विधानसभा चुनाव में पुरानी पेंशन एक प्रमुख मुद्दा बनेगा।

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जिलाध्यक्ष ब्रजेश द्विवेदी ने कहा कि पदयात्रा को सफल बनाने के लिए सभी लोगों को सहयोग में आगे आने की आवश्यकता है। जिला महामंत्री सुरेंद्र कुमार गुप्ता ने कहा कि सरकार को पुरानी पेंशन हर हाल में बहाल करना पड़ेगा। आने वाले समय मे आंदोलन और तेज किया जाएगा। जिला संयोजिका कल्पना, प्रमोद त्रिपाठी, आरती चौधरी, विवेककांत मिश्र, संजय कर पाठक, मनोज कुमार, अतुल वर्मा, विष्णु त्रिपाठी, उत्कर्ष, नागेंद्र कुमार, लक्ष्मीकांत पांडेय, वेदप्रकाश, राजेंद्र कुमार, ज्योति यादव, वर्षा मद्देशिया, वर्तिका राव, पशुपति नाथ आदि मौजूद रहे।

आनलाइन प्रदर्शनी का हुआ आयोजन

सिद्धार्थनगर : गांधी जयंती व अमृत महोत्सव में रविवार को राजकीय बौद्ध संग्रहालय पिपरहवा में आनलाइन छायाचित्र प्रदर्शनी का आयोजन हुआ। महात्मा गांधी के जीवन वृतांत पर प्रकाश डाला। छात्रों ने आजादी व भारत के इतिहास को जाना।

प्रदर्शनी में बताया गया कि दो अक्टूबर 1869 को काठियावाड़ जिला में मोहन करमचंद गांधी का जन्म हुआ था। पिता काबा गांधी राजकोट के राजा के यहां दीवान थे। 12 वर्ष की आयु में कस्तूरबा के साथ विवाह हुआ। देश में शिक्षा समाप्त होने के बाद कानून की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड गए। बैरिस्टर बनने के बाद राजकोट और मुंबई में वकालत की। एक मुकदमा के संबंध में दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा। यहीं से इनके जीवन ने करवट बदली। सत्याग्रह आंदोलन आरंभ किया। इसमें सफलता प्राप्त कर सत्याग्रह की उपयोगिता को सिद्ध कर दिया। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान वर्ष 1915 में वह भारत लौटे। वर्ष 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन आरंभ किया। इसने देशव्यापी आंदोलन का रूप धारण कर लिया था। स्वदेशी आंदोलन भी तेजी से चल रहा था। वर्ष 1939 में द्वितीय विश्वयुद्ध प्रारंभ हो गया। वर्ष 1942 में महात्मा गांधी के नेतृत्व में अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन शुरू हुआ।


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