खस्ताहाल सड़कों ने बढ़ाई मुश्किलें
एक तरफ जहां सड़कों को गड्ढा मुक्त करने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। तो वहीं जिम्मेदारों की उदासीनता के चलते ग्रामीण क्षेत्र की सड़कों की स्थिति अत्यंत दयनीय है। खेसरहा क्षेत्र में तो स्थिति और भी खराब है। क्षेत्र की अधिकांश सड़कें मरम्मत के अभाव में जर्जर हो चुकी है। बार-बार शिकायत के बावजूद मरम्मत कार्य न कराए जाने से ग्रामीणों में रोष व्याप्त है।
सिद्धार्थनगर : एक तरफ जहां सड़कों को गड्ढा मुक्त करने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। तो वहीं जिम्मेदारों की उदासीनता के चलते ग्रामीण क्षेत्र की सड़कों की स्थिति अत्यंत दयनीय है। खेसरहा क्षेत्र में तो स्थिति और भी खराब है। क्षेत्र की अधिकांश सड़कें मरम्मत के अभाव में जर्जर हो चुकी है। बार-बार शिकायत के बावजूद मरम्मत कार्य न कराए जाने से ग्रामीणों में रोष व्याप्त है।
सप्ती नानकार मार्ग : चोरईताल से सप्ती नानकार जाने वाले मार्ग की स्थिति अत्यंत खराब है। 12 किलोमीटर लंबे इस मार्ग का निर्माण तीन दशक पूर्व लोक निर्माण विभाग ने कराया था। इस मार्ग से बनौली, सेमरहना, झाझापार, ऐचनी, बेलहरा, सहित लगभग 48 गांवो के लोगों का आवागमन होता है। सड़क पर बने बड़े बड़े गड्ढों में बरसात का पानी जमा होने से गड्ढों की गहराई का पता ही नहीं चलता है।
कंचनपुर मारवटिया मार्ग : कंचनपुर से मरवटिया जाने वाला मार्ग मरम्मत के अभाव में जर्जर हो चुका है। तीन किलोमीटर लंबे इस मार्ग का निर्माण 16 वर्ष पूर्व पीडब्ल्यूडी विभाग ने कराया था। निर्माण के समय मानकों की जमकर अनदेखी की गई थी जिसके परिणामस्वरूप बनने के कुछ दिन बाद ही इस मार्ग की गिट्टियां उखड़ने लगी थी। इस मार्ग से करीब बीस गांव के लोग गुजरते हैं।
परोई मार्ग : बांसी धानी मार्ग से परोई जाने वाले संपर्क मार्ग पर भी बड़े बड़े गड्ढे बन गए हैं। तीन किमी लंबे इस मार्ग का निर्माण 1995 में लोक निर्माण विभाग ने कराया था। लेकिन निर्माण के बाद से आज तक इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। मरम्मत के अभाव में सड़क पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है। पीडब्ल्यूडी के अधिशासी अभियंता विवेक राय ने कहा कि जो भी मार्ग खराब है उन्हें ठीक कराने के लिए विभाग ने स्टीमेट बनाकर शासन को भेज दिया गया है। पैसा अवमुक्त होने पर सभी मार्गों का मरम्मत कार्य कराया जाएगा।