पीपीई किट बनाकर समूह की महिलाएं बन रहीं आत्मनिर्भर
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के बैनर तले इकौना देहात में महिलाओं का स्वयंसहायता समूह आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ चला है। यहां कई महिलाएं मिलकर पीपीई किट तैयार कर रही हैं। 85 जीएसएम के कपड़े से तैयार किटों बिक्री भी हो चुकी है।
श्रावस्ती : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम अपने संदेश में आत्मनिर्भर भारत बनाने की बात कही थी। इस संदेश का असर अब दिखने लगा है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के बैनर तले इकौना देहात में स्वयं सहायता समूह की महिलाएं पीपीई किट तैयार कर रही हैं। 85 जीएसएम के कपड़े से तैयार किट के पहली खेप की बिक्री भी हो चुकी है।
कोरोना संक्रमण के खतरे के बीच फील्ड में उतरकर सफाई कर्मचारियों को अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करना होता है। चेक पोस्ट व स्क्रीनिग सेंटर पर अपनी जिम्मेदारी में लगे लोगों के साथ सरकारी राशन की दुकान, गेहूं क्रय केंद्र आदि स्थानों पर काम करने वाले लोगों को सुरक्षा के लिए पीपीई किट की जरूरत होती है। इस आवश्यकता को महसूस करते हुए राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की ओर से गठित इकौना देहात के चौबे बाबा स्वयं सहायता समूह की सात महिलाएं पीपीई (प्रसनल प्रोटेक्टिव इक्युपमेंट) किट बना रही हैं। सीडीओ अवनीश राय की पहल पर खादी ग्रामोद्योग बोर्ड की ओर से समूह को 85 जीएसएम का 1600 मीटर कपड़ा उपलब्ध कराया गया है। जिला मिशन प्रबंधक अखिलेश व अंजू मौर्य के निर्देशन में समूह की दुर्गावती, सुगीला, माधुरी, नीतू कश्यप, श्यामकला, मालती व राजरानी कपड़े की कटाई व सिलाई में जुटी हैं।
270 रुपये में बिक रही किट
जिला मिशन प्रबंधक अखिलेश ने बताया कि वैश्विक महामारी कोविड-19 से बचाव में समूह का पीपीई किट काफी उपयोगी है। इसके तैयार होने के बाद बैग के साथ 270 रुपये में इसकी बिक्री की जा रही है। इसमें 100 से 140 रुपये सिलाई करने वाली महिलाओं को मिलता है। पहले चरण में 700 पीपीई किट तैयार हुए हैं। इनमें से 640 की बिक्री हो चुकी है।
कोरोना संक्रमितों के इलाज में लगी टीम के अलावा समाज के लोगों के बीच रहकर काम करने वालों के लिए समूह की महिलाओं का पीपीई किट काफी उपयोगी होगा। यह प्रयास सराहनीय है।
डॉ. विजय कुमार सीएमएस, जिला अस्पताल