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मानसून की आहट ने बढ़ाई दोआब वासियों की धड़कन

ककराघाट पर पुल न होने से चार महीने कटा रहता तहसील मुख्यालय से संपर्क बारिश शुरू होते ही विकास की मुख्य धारा से दूर हो जाते लगभग 30 गांव

By JagranEdited By: Published: Tue, 28 Jun 2022 10:37 PM (IST)Updated: Tue, 28 Jun 2022 10:37 PM (IST)
मानसून की आहट ने बढ़ाई दोआब वासियों की धड़कन

श्रावस्ती : मानसून की आहट से दोआब वासियों की धड़कनें बढ़ने लगी हैं। इकौना तहसील के ककराघाट पर पुल न होने से दोआब क्षेत्र के लगभग 30 गांवों का विकास हाशिये पर है। पुल के अभाव में बरसात के चार महीने इन गांवों का तहसील मुख्यालय से संपर्क कट जाता है। इससे लगभग एक लाख की आबादी विकास की मुख्य धारा से कट जाती है।

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बाढ़ मचाती है तबाही

हर वर्ष बरसात में भारी तबाही मचाने वाली राप्ती दोआब क्षेत्र का शोक बनी हुई है। प्रतिवर्ष राप्ती में आने वाली बाढ़ से अपार धन-संपत्ति की हानि होती है। घर-मकान व फसल लगे खेत राप्ती की धारा में विलीन हो जाते हैं। वैसे तो पूरे वर्ष इस क्षेत्र के लोग तहसील मुख्यालय पहुंचने के लिए राप्ती नदी पर बांस-बल्ली का पुल बनाकर जोखिम भरा सफर करते हैं, लेकिन मानसून आने पर सुरक्षा के दृष्टिकोण से यह अस्थायी पुल तोड़ दिया जाता है। चार माह तक गांवों के बाशिदे नाव के सहारे तहसील मुख्यालय पहुंचते हैं।

मुख्य धारा से कट जाती हजारों की आबादी

दोआब क्षेत्र के नदी-नालों से घिरे मनोहरापुर, धर्मपुर, मनकाकोट, भोजपुर, मलौना खसियारी, किड़हौना, सेमरी तरहर, लक्ष्मनपुर गोड़पुरवा, मुजहनियां, भुतहा, नरायनजोत गांवों की जीविका का साधन पशुपालन, कृषि, मजदूरी व दुग्ध व्यवसाय है। बाढ़ आने या अस्थायी पुल टूट जाने पर इन गांवों की हजारों की आबादी विकास की धारा से कट जाती है। लोगों को इलाज, दैनिक जरूरतों की पूर्ति व दुग्ध उत्पाद बाजार भेजने या मजदूरी के सिलसिले में शहर जाने के लिए मन मारकर रहना पड़ता है। अक्सर बीमार लोगों को समय से इलाज न मिलने पर उनका जीवन खतरे में पड़ जाता है।

एक पुल बदल सकता है क्षेत्र की तस्वीर

इकौना-लक्ष्मनपुर मार्ग पर स्थित ककराघाट पर पक्का पुल बन जाए तो दोआब क्षेत्र के साथ सिरसिया, हरिहरपुररानी ब्लाक समेत बलरामपुर जिले के उत्तरी व पश्चिमी क्षेत्र के गांव विकास की मुख्य धारा से जुड़ जाएंगे। यही नहीं इस पुल व नालों पर पुलियों का निर्माण हो जाने से श्रावस्ती नेपाल सीमा से जुड़ जाएगी। सिरसिया, देवीपाटन, तुलसीपुर होते हुए गोरखपुर का एक नया मार्ग मिल जाएगा। इससे दोआबा के दुर्गम क्षेत्र के गांव हाईवे से जुड़कर विकास की मुख्य धारा में शामिल हो जाएंगे।


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