भूपेंद्र पांडेय, श्रावस्ती : कोरोना संक्रमण के चलते स्कूलों में पठन-पाठन तो बंद हुआ तो बच्चों से सूने परिसर में पूरे दिन खाली बैठ कर ऊबने के बजाय सृजनशील शिक्षक रचनात्मक कार्यों में जुट गए। इस दिशा में हरिहरपुररानी ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय अकबरपुर की शिक्षकाओं का प्रयास चर्चा में हैं। कम समय में बेहतर ढंग से बच्चों को शिक्षित करने के लिए घर की अनुपयोगी सामग्री का प्रयोग कर शिक्षण सहायक सामग्री का खजाना तैयार कर डाला।
शिक्षा में शून्य निवेश व नवाचार को प्रोत्साहन देकर प्रभावशाली ढंग से शिक्षण पर बल दिया जा रहा है। हरिहरपुररानी ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय अकबरपुर की शिक्षिका रूपम ओझा, राजलक्ष्मी सिंह, रंजीता शर्मा व सादिया इस विषय पर कुछ नया और बेहतर करने के लिए उत्साहित थीं। कोरोना संक्रमण के दौर में स्कूल में बच्चों का आना बंद हुआ तो खाली समय में इन शिक्षिकाओं ने अपनी कोशिशों को परवान चढ़ाना शुरू किया। बच्चों के पठन-पाठन में सहयोग के लिए शिक्षण सहायक सामग्री तैयार करने में जुट गईं। इस पर खर्च का बोझ न आए, इसके लिए अनुपयोगी घरेलू सामग्री का प्रयोग किया। गत्ता, कागज, ऊन, बिना स्याही के पेन समेत अन्य सामग्री का प्रयोग कर मेज पर रखने के लिए पेन स्टैंड, बच्चों को समय का ज्ञान कराने के लिए दीवार घड़ी, अक्षर ज्ञन कराने के लिए अक्षर वृक्ष, महीनों के नाम, सप्ताह के नाम व बच्चों के मनोरंजन के लिए खेल के सामान तथा स्कूल की साज-सज्जा के लिए झालर तैयार किया। शिक्षिका रंजीता शर्मा कहती हैं कि काफी दिन से इन सामग्री को बनाने का मन था, लेकिन खाली समय नहीं मिल पाता था। अब पर्याप्त शिक्षण सहायक सामग्री तैयार है। बच्चे स्कूल आएंगे तो उन्हें ककहरा सिखाने में आसानी होगी। स्वच्छता को लेकर रहती हैं संवेदनशील
प्राथमिक विद्यालय अकबरपुर की शिक्षिकाएं स्वच्छता व साज-सज्जा को लेकर सदैव संवेदनशील रहती हैं। निवर्तमान ग्राम प्रधान अनुरुद्ध मिश्र बताते हैं कि स्कूल परिसर हमेशा साफ-सुथरा रहता है। यहां पढ़ने वाले बच्चे यदि साफ कपड़े पहनकर नहीं आते हैं तो शिक्षिकाएं इसकी शिकायत अभिभावकों से करती हैं। इस कोशिश से स्कूल में पठन-पाठन का बेहतर माहौल बना रहता है। इनसेट
स्कूल की शिक्षिकाओं का प्रयास सराहनीय है। लगभग एक साल बाद स्कूल खुलने जा रहे हैं। बच्चे काफी कुछ भूल चुके होंगे। नए सिरे से इन्हें सिखाने व पुरानी पढ़ी चीजों को याद दिलाने में शिक्षण सहायक सामग्री काफी उपयोगी होंगी। शून्य निवेश पर किए गए इस प्रयास से अन्य शिक्षकों को भी सीख लेनी चाहिए।
-कमलेश कुमार, प्रभारी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, श्रावस्ती।
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