दलों के एजेंडे से गायब हैं विकास के मुद्दे
संसदीय क्षेत्र श्रावस्ती पर लगा पिछड़ेपन का कलंक नहीं दूर पा रहा है। बौद्ध तपोस्थली के साथ कई प्राचीनतम मंदिर व झीलें होने के बावजूद पर्यटन स्थल का दर्जा नहीं मिल सका। बालिकाओं के लिए इंटर कॉलेज नहीं है। रोजगार के साधन न होने से युवाओं को महानगरों का पलायन करना पड़ रहा है। हवाई पट्टी का संचालन न होने से लोगों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है। प्रबुद्ध वर्ग में सियासी दलों के प्रति असंतोष नजर आता है। वक्ताओं ने किसी दल के एजेंडे में अब तक विकास के मुद्दे न होने पर आश्चर्य जताया है। जागरण की ओर श्रावस्ती जिले के स्वर्गीय श्यामता प्रसाद बालिका महाविद्यालय में विकास के मुद्दे पर लगाई गई चौपाल में देखने को मिला। जागरण चौपाल में उठाए गए बिदुओं पर प्रस्तुत है रमन मिश्र की रिपोर्ट ..
संसदीय क्षेत्र श्रावस्ती पर लगा पिछड़ेपन का कलंक नहीं दूर पा रहा है। बौद्ध तपोस्थली के साथ कई प्राचीनतम मंदिर व झीलें होने के बावजूद पर्यटन स्थल का दर्जा नहीं मिल सका। बालिकाओं के लिए इंटर कॉलेज नहीं है। रोजगार के साधन न होने से युवाओं को महानगरों का पलायन करना पड़ रहा है। हवाई पट्टी का संचालन न होने से लोगों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है। प्रबुद्ध वर्ग में सियासी दलों के प्रति असंतोष नजर आता है। वक्ताओं ने किसी दल के एजेंडे में अब तक विकास के मुद्दे न होने पर आश्चर्य जताया है। जागरण की ओर श्रावस्ती जिले के स्वर्गीय श्यामता प्रसाद बालिका महाविद्यालय में विकास के मुद्दे पर लगाई गई चौपाल में देखने को मिला। जागरण चौपाल में उठाए गए बिदुओं पर प्रस्तुत है रमन मिश्र की रिपोर्ट ..
छात्र सुजीत वर्मा का कहना है कि हवाई पट्टी विकसित होने से लोगों को रोजगार मिलता। श्रावस्ती का पिछड़ापन व गरीबी दूर होगी। महेश चौधरी का कहना है कि श्रावस्ती अंतरराष्ट्रीय बौद्ध तीर्थ क्षेत्र है। जहां 36 देशों के बौद्ध अनुयायी आते हैं। यातायात के बेहतर साधन हों तो पर्यटकों की संख्या में इजाफा होगा। तीन दशक से हवाई पट्टी का निर्माणाधीन बने रहना चिताजनक है। वेद प्रकाश द्विवेदी का कहना है कि आवागमन का बेहतर साधन न होने से उद्योगपति इस क्षेत्र का रुख नहीं करते हैं। जिससे क्षेत्र का औद्योगिक विकास नहीं हो सका। हवाई अड्डे के शुभारंभ से क्षेत्र का विकास तेजी से होगा। वेद प्रकाश द्विवेदी का कहना है कि महिला डिग्री व बालिका इंटर कॉलेज का अभाव है। आवागमन के बेहतर साधन न होने से क्षेत्र का पिछड़ापन दूर नहीं हो पा रहा है। अरुण चौधरी का कहना है कि देवीपाटन मंडल की एकमात्र हवाई पट्टी श्रावस्ती में है। जिसका संचालन न होने से विदेशी मेहमान सड़क मार्ग से यहां आते हैं। जिन्हें परेशानी का सामना करना पड़ता है। हवाई अड्डे का संचालन शुरू होने से बेरोजगारी दूर होगी। साथ ही क्षेत्र का विकास शुरू हो जाएगा। शैनलता द्विवेदी का कहना है कि शिक्षा, स्वास्थ्य व औद्योगिक इकाई नहीं है। इससे यह क्षेत्र काफी पिछड़ा है। पर्यटन को बढ़ावा देकर क्षेत्र के पिछड़ेपन को दूर किया जा सकता है। प्रदीप बौद्ध का कहना है कि किसी क्षेत्र के उत्थान में यातायात के बेहतर साधन का सबसे योगदान होता है। डॉ.धर्मेंद्र गुप्ता का कहना है कि स्वस्थ व स्वच्छ सोच वाले व्यक्ति को चुनने से क्षेत्र का तेजी से विकास होगा। यहां यातायात के साधन नहीं है। हवाई पट्टी है, लेकिन उसका संचालन नहीं हो सका है। उसे विकसित कर दिया जाए तो श्रावस्ती की पहचान विश्व पटल पर होने लगेगी। डॉ.एसएन वर्मा कहना है कि प्राकृतिक उपचार केंद्र के साथ आधुनिक अस्पताल बनाया जाए। जिससे आध्यात्म व विज्ञान के संयुक्त प्रयोग से श्रावस्ती के माथे से पिछड़ेपन का कलंक दूर हो। यहां सड़कें अच्छी हैं, लेकिन उस पर खटारा बसें चलाई जा रही है। रात सात बजे के बाद बसों का संचालन नहीं होता है। श्रवण द्विवेदी का कहना है कि चारों तरफ विकास की दौड़ है। श्रावस्ती इस दौड़ में सबसे पीछे है। इसके लिए जिम्मेदार अब तक के जनप्रतिनिधि हैं। जिन्होंने क्षेत्र के विकास के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया। अष्टांग योग का विश्वविद्यालय बनना चाहिए। ताकि यहां आने वाले विदेशी पर्यटक सीख लेकर अपने वतन को वापस जाएं। जिससे जिले का नाम हो सके। एके सिंह का कहना है कि हवाई पट्टी संचालित होने से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। यहां यातायात केवल परिवहन निगम की बसों पर निर्भर है। जिले में बालिका इंटर कॉलेज नहीं है। आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज होना चाहिए। जिससे स्वास्थ्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में सुधार हो सके। ओम प्रकाश श्रीवास्तव का कहना है कि यातायात के बेहतर साधनों के अभाव में किसी क्षेत्र का विकास संभव नहीं है। जनप्रतिनिधियों ने वादा बहुत किया, लेकिन कोई सुधार नहीं करवा सके। श्रावस्ती में उच्च स्तरीय स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध होनी चाहिए। मुद्दा क्यों :
-जिला बनने के 22 साल बाद भी श्रावस्ती के माथे पर लगे पिछड़ेपन का कलंक दूर नहीं हो सका। बालिकाओं के लिए डिग्री, इंटर कॉलेज नहीं है। तकनीकी शिक्षा से छात्र-छात्राएं वंचित है। औद्योगिक इकाईयां न होने से लोगों को महानगरों की तरफ रुख करना पड़ रहा है। हवाई पट्टी का संचालन न होने से लोगों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है। युवा रोजगार के लिए महानगरों की तरफ पलायन कर रहे हैं। इको टूरिज्म का दर्जा नहीं मिल सका है। जिससे क्षेत्र का विकास नहीं हो पा रहा है।