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प्रमाण पत्र बनाने में खेल, पिछड़ी को बना दिया अनुसूचित जाति

एक ही गांव के पांच लोगों को जारी किया प्रमाणपत्र शिकायत के बाद हरकत में आया महकमा

By JagranEdited By: Published: Tue, 28 Jul 2020 10:54 PM (IST)Updated: Wed, 29 Jul 2020 06:09 AM (IST)
प्रमाण पत्र बनाने में खेल, पिछड़ी को बना दिया अनुसूचित जाति
प्रमाण पत्र बनाने में खेल, पिछड़ी को बना दिया अनुसूचित जाति

संसू, श्रावस्ती : सरकारी कामकाज करने का तरीका ही अलग है। तभी तो भिनगा तहसील क्षेत्र के राजावीरपुर गांव में पिछड़ी जाति के पांच लोगों को अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया। इस जालसाजी का खुलासा तब हुआ जब टिकुइया गांव के ग्रामीण ने इसकी शिकायत एसडीएम से की। मामला उजागर होने पर महकमा हरकत में आ गया और लेखपाल पर कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी।

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जाति प्रमाण पत्र के लिए होने वाले ऑनलाइन आवेदन पर लेखपाल को जांच कर अपनी रिपोर्ट लगानी होती है। राजस्व निरीक्षक से प्रति हस्ताक्षरित होने के बाद इस आवेदन पर तहसीलदार व एसडीएम की भी रिपोर्ट लगती है। आवेदन करने वाले व्यक्ति के जाति के विवरण संबंधी पुष्ट जानकारी के लिए अन्य अधिकारी लेखपाल की रिपोर्ट को ही आधार मानकर अपना हस्ताक्षर करते हैं। भिनगा तहसील के राजावीरपुर गांव में लेखपाल ने अपनी इसी पावर का फायदा उठाया। टिकुइया गांव निवासी दिनेश कुमार वर्मा की ओर से की गई शिकायत में बताया गया है कि राजावीरपुर निवासी हेम कुमार, मनीष, भुसैली, नायब व मैकू पिछड़ी जाति के हैं। इन्हें वर्ष 2018 में अनुसूचित जाति का प्रमाणपत्र जारी किया गया है। हेम कुमार का जाति प्रमाणपत्र संख्या 51184004853, मनीष का जाति प्रमाणपत्र संख्या 51184004854, भूसैली का जाति प्रमाणपत्र संख्या 51184004855, नायब का जाति प्रमाण पत्र संख्या 51184004856 व मैकू का जाति प्रमाण पत्र संख्या 51184004857 है। इनमें तीन लोगों को पासी व दो लोगों को कोरी जाति का प्रमाणपत्र जारी किया गया हैं, जबकि सभी लोग पिछड़ी जाति के हैं। एसडीएम प्रवेंद्र कुमार ने बताया कि भिनगा तहसीलदार राजकुमार पांडेय प्रकरण की जांच कर रहे हैं। लेखपाल के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई शुरू की गई है। लेखपाल मुहम्मद उमर ने बताया मामला वर्ष 2018 का है। भूलवश यह जाति प्रमाणपत्र जारी हुआ था। इसमें किसी प्रकार के लेनदेन का आरोप झूठा है। शिकायत मिलते ही जाति प्रमाणपत्र को निरस्त करवा दिया गया है।


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