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उखड़ी सड़कें, मुंह खोले गड्ढे ले रहे जान

जासं श्रावस्ती सुरिक्षत सफर के लिए अच्छी सड़कों की जरूरत होती है। तराई के इस पिछड़े ि

By JagranEdited By: Published: Thu, 26 Nov 2020 10:29 PM (IST)Updated: Thu, 26 Nov 2020 10:29 PM (IST)
उखड़ी सड़कें, मुंह खोले गड्ढे ले रहे जान
उखड़ी सड़कें, मुंह खोले गड्ढे ले रहे जान

जासं, श्रावस्ती : सुरिक्षत सफर के लिए अच्छी सड़कों की जरूरत होती है। तराई के इस पिछड़े जिले में सड़क की उपयुक्त बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। इसके चलते हादसों की वजह सड़कें भी बन रही हैं। सड़क निर्माण के बरती जा रही अनियमितता के चलते जगह-जगह गड्ढे हो जाते हैं। सड़कों के इस जख्म पर मरहम नहीं लग पाता है। डिवाइडर, रिफलेक्टर, ट्रैफिक सिग्नल का अभाव भी दुर्घटनाओं को बढ़ावा दे रहे हैं। हर साल सड़क सुरक्षा सप्ताह के कर्मकांड की आहुतियां डाली जाती हैं। बैनर, पोस्टर और ई-चालान के मंत्रोच्चार गुंजायमान होते हैं, लेकिन सड़कें हैं कि खून से लाल होती जा रही हैं। उसकी नियति में तो मानो वस रक्त-रंजित होना लिखा है। पिछले तीन साल के आंकड़ों पर गौर करें तो 263 हादसे हो चुके हैं। इनमें 169 लोगों की जानें जा चुकी हैं, जबकि 187 लोग घायल हो चुके हैं।

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आबादी के साथ श्रावस्ती में बेतहाशा वाहनों की संख्या बढ़ रही है। सर्दी के मौसम में कोहरे का प्रकोप ऊपर से संकरी होती चली जा रही सड़कें। 'माननीयों' की दिल्लगी भी किसी न किसी की आखिरी हिचकी बन रही है, फिर भी यहां सड़कों के निर्माण के लिए जिस तरीके से योजनाएं बननी चाहिए, नहीं बन पा रही है। श्रावस्ती जिले में सड़कें ऐसा घाव है, जिसकी टीस सुबह-शाम उठती है। आए दिन दुघर्टनाएं होती है। सड़कों को गड्ढामुक्त बनाने के दावे में कितनी सच्चाई है, इस बात की कहानी श्रावस्ती की सड़के खुद ब खुद बताती है। हकीकत यह है कि यहां की सड़कें गड्ढों में तब्दील हो गई हैं। इस समस्या से 'माननीयों' के साथ प्रशासन भी बेखबर है। एक दशक के दौरान श्रावस्ती की सड़कों पर लगभग ढाई गुना से ज्यादा वाहन बढ़े हैं। वाहनों की संख्या बढ़ कर अब 34 हजार तक पहुंच गई है, जो इस छोटे जिले की सड़कों के लिए काफी है। वाहनों की वृद्धि को देखते हुए व्यवस्था सुधारने की भी जरूरत है। व्यवस्था सुधरेगी तो दुघर्टनाओं में भी कमी आएगी, लेकिन जिम्मेदारों की बेपरवाही से मौजूदा सड़क नेटवर्क दुरूस्त नहीं हो पा रहा है। उखड़ी सड़कें और मुंह खोले गड्ढे दुर्घटनाओं को बढ़ावा दे रहे हैं। माननीयों की निधियों से बनाई गई सड़कों का वजूद भी खत्म हो रहा है। कारण साफ है, सड़कों के निर्माण में मानकों की धज्जी उड़ाई जा रही हैं। श्रावस्ती जिले की सड़कों में बहराइच से सिरसिया 62 किमी, बहराइच से श्रावस्ती 52 किमी व बहराइच से जमुनहा 45 किमी सड़कों के अलावा बार्डर की सड़क है। इन सड़कों को छोड़ दिया जाए तो भिनगा- लक्ष्मनपुर बाजार, गिलौला-लक्ष्मनपुर मार्ग, इकौना-लक्ष्मनपुर बाजार, सेमरी चौराहा से नरायनजोत व भिनगा से तेंदुआ रतनपुर, खरगौरा से सेमरी चौराहा की स्थिति काफी दयनीय है। सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी नरेश कुमार वर्मा बताते हैं कि दुर्घटनाओं को रोकने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। उनके मुताबिक लगभग 12 लाख आबादी वाले इस जिले में एक दशक के अंतराल में ढाई गुना वाहन बढ़े हैं। वाहनों की संख्या के अनुपात में सड़कें संकरी हो गई है।

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घोषित हैं चार ब्लैक स्पॉट

यातायात प्रभारी राजीव मिश्रा ने बताया कि जिले में चार ब्लैक स्पॉर्ट घोषित किए गए हैं। सेमरी चौराहा, तिलकपुर मोड़, बरदेहरा मोड़ व मोहनीपुर शामिल हैं। इन स्थानों पर दुर्घटनाओं को रोकने के लिए संकेतक लगाए गए हैं।


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