सियासी दिग्गजों की नजर में चढ़ी जिपं अध्यक्ष की कुर्सी
जिला पंचायत अध्यक्ष की सीट फिर हुई अनारक्षित पंचायतों का आकर्षण बढ़ने से दिलचस्प होगा चुनाव
विजय द्विवेदी, श्रावस्ती : पंचायत चुनाव में नए सिरे से आरक्षण तय करने के हाईकोर्ट के आदेश के बाद जिला पंचायत अध्यक्ष की सीट फिर अनारक्षित हो गई है। सीट अनारक्षित होने के चलते इस पर सियासी दिग्गजों की नजर लगी है। पंचायतों का आकर्षण बढ़ने के बाद बड़ी संख्या में सियासी दिग्गज जिला पंचायत सदस्य के चुनाव में कूद पड़े हैं। इस चुनाव में विभिन्न दलों के छोटे कार्यकर्ताओं से लेकर 'माननीयों' के परिवारीजन भी मैदान में हैं।
वर्ष 1997 में जिले का गठन हुआ। इसके बाद वर्ष 1998 में जिला पंचायत बनी। जिला पंचायत के अब तक हुए छह चुनाव में एक बार भाजपा, एक बार बसपा व चार बार सपा की झोली में जिला पंचायत अध्यक्ष की सीट जा चुकी है। वर्ष 1995 को आधार मानकर हुए आरक्षण में 22 वार्डों में विभक्त जिला पंचायत सदस्य के लिए दो अनुसूचित जाति, दो अनुसूचित जाति महिला, नौ अनारक्षित, तीन पिछड़ा वर्ग, पिछड़ा वर्ग महिला के लिए दो व महिला के लिए चार सीटें आरक्षित की गईं थी। आरक्षण की सूची जारी होने के बाद गांव पंचायत, क्षेत्र पंचायत व जिला पंचायत सदस्य के आरक्षण पर सवाल सुलगने लगे थे। 110 लोगों ने आपत्तियां दर्ज कराकर आरक्षण व्यवस्था पर अंगुली उठाई। आपत्तियों का निस्तारण होता कि इसी बीच हाईकोर्ट ने नए सिरे से आरक्षण करने के आदेश जारी कर दिए। हाईकोर्ट के आदेश के बाद जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी एक बार फिर अनारक्षित हो गई है। सदस्यों के आरक्षण में भी उलटफेर की प्रबल संभावना है। अध्यक्ष की सीट अनारक्षित हो जाने से 'माननीयों' की दिलचस्पी चुनाव को लेकर और बढ़ गई है। पूर्व सांसद दद्दन मिश्र ने अपने भतीजे पंकज मिश्रा को चुनाव मैदान में उतार दिया है तो श्रावस्ती विधायक रामफेरन पांडेय अपने पुत्र अवधेश कुमार पांडेय को जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ा रहे हैं। जिला पंचायत के पूर्व अध्यक्ष रमन सिंह ने अपनी पत्नी विभा सिंह को वार्ड नंबर पांच से चुनाव लड़ाने की घोषणा की है, लेकिन आरक्षण में उलटफेर हुआ तो दूसरी जगह से चुनाव लड़ा सकते हैं। इकौना भाजपा मंडल अध्यक्ष महराज प्रकाश तिवारी अपनी मां सुमन लता तिवारी को मैदान में उतार चुके हैं। राष्ट्रीय लोकदल के जिलाध्यक्ष राजकुमार ओझा भी चुनाव मैदान में उतर कर समीकरण बना रहे हैं। भाजपा के जिला उपाध्यक्ष महेश मिश्रा ओम आरक्षण के चलते मायूस हो गए थे, लेकिन नए सिरे से हो रहे आरक्षण से इन्हें भी लड़ने का मौका मिल सकता है। सपा जिलाध्यक्ष सर्वजीत यादव भी जिला पंचायत सदस्य के लिए ताल ठोंक रहे हैं तो जीतेंद्र शुक्ला व भाकियू के मंडल अध्यक्ष विनोद शुक्ला भी चुनाव मैदान में हैं। हाल फिलहाल अभी आरक्षण की तस्वीर साफ नहीं है, फिर भी सियासी दिग्गज जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी को लेकर काट-छांट की राजनीति में जुट गए हैं।