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संक्रमण के खिलाफ जंग में मुस्तैदी से डटे रहे लोग

परीक्षा की इस घड़ी में कोरोना योद्धाओं की भूमिका महत्वपूर्ण रही। पुलिस स्वास्थ्य व सफाई कर्मचारियों ने लोगों की सेहत व सुरक्षा का निष्ठा के साथ ध्यान रखा। गरीब परिवारों का पेट भरने के लिए सामाजिक संस्थाओं ने भी खुलकर मदद का हाथ पढ़ाया।

By JagranEdited By: Published: Thu, 25 Mar 2021 12:02 AM (IST)Updated: Thu, 25 Mar 2021 12:02 AM (IST)
संक्रमण के खिलाफ जंग में मुस्तैदी से डटे रहे लोग
संक्रमण के खिलाफ जंग में मुस्तैदी से डटे रहे लोग

श्रावस्ती : वैश्विक महामारी कोरोना ने लोगों के जीवन का तरीका बदल दिया है। एक साल पहले लाकडाउन की घोषणा होने पर लोगों को ठीक ढंग से इसके मायने भी नहीं पता थे, लेकिन संक्रमण के खिलाफ चली इस जंग में तमाम दुश्वारियों के बाद भी मुस्तैदी के साथ लोग डटे रहे।

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परीक्षा की इस घड़ी में कोरोना योद्धाओं की भूमिका महत्वपूर्ण रही। पुलिस, स्वास्थ्य व सफाई कर्मचारियों ने लोगों की सेहत व सुरक्षा का निष्ठा के साथ ध्यान रखा। गरीब परिवारों का पेट भरने के लिए सामाजिक संस्थाओं ने भी खुलकर मदद का हाथ पढ़ाया।

52 स्वास्थ्यकर्मी हुए संक्रमित : दो गज दूरी मास्क जरूरी के फार्मूले के साथ दुनिया जीवन यापन कर रही थी, लेकिन चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मचारी कोरोनाकाल में भी लोगों की सेवा में डटे रहे। इस दौरान संयुक्त जिला चिकित्सालय भिनगा समेत अन्य स्वास्थ्य केंद्रों पर 52 स्वास्थ्यकर्मी संक्रमित हुए थे। संक्रमितों की संख्या के बावजूद चिकित्सकों के सेवाभाव में कमी नहीं आई।

घर से चलने लगे दफ्तर : काम के लिए आफिस जाने की परंपरा लाकडाउन में टूट गई। घर से दफ्तर चलना शुरू हुआ तो अरसे बाद देश के अलग-अलग हिस्सों में रह रहे लोग लंबे समय तक परिवार के साथ रहे। यह प्रयोग पूरी तरह सफल रहा। एकाग्रता बने तो घर रहकर भी दफ्तर के काम को बेहतर ढंग से पूरा किया जा सकता है। इस सोच ने समाज में मजबूत स्थान बना लिया।

बदल गए तीज त्योहार मनाने के तरीके : होली और ईद पर्व एक-दूसरे के गले लगकर खुशियां साझा करने का रिवाज है। कोरोना से बचाव के लिए शारीरिक दूरी के नियम ने इस रिवाज को बदल दिया। अब बंदिगी और दुआ सलाम दूर-दूर से ही होता है। तीज-त्योहारों के साथ सामाजिक व धाíमक आयोजनों को मनाने के तरीके में भी बदलाव हुआ है।

मास्क बन गया जीवन का हिस्सा : गांव हो अथवा शहर नन्हें बच्चे भी मास्क को पहचानते हैं। संक्रमण के शुरुआती दौर में लोगों ने इससे अपना नाक और मुंह ढका तो यह उतरने नहीं पाया। धीरे-धीरे मास्क जीवन का हिस्सा बन गया। बाहर के खानपान से लोगों ने काफी हद तक दूरी बनाई है। इससे बीमारियों में कमी दर्ज की गई है।


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