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सूना पड़ा घर अंगना..लौट आओ मेरे ललना

बेटों की वापसी के लिए उम्मीद का दीया लेकर देवी-देवताओं की पूजा कर रहीं मां घरों में नहीं जल रहा चूल्हा खुशियां हो गईं काफूर

By JagranEdited By: Published: Fri, 26 Feb 2021 11:14 PM (IST)Updated: Fri, 26 Feb 2021 11:14 PM (IST)
सूना पड़ा घर अंगना..लौट आओ मेरे ललना
सूना पड़ा घर अंगना..लौट आओ मेरे ललना

विजय द्विवेदी, श्रावस्ती : दरवाजे पर जब कोई आहट होती है तो मां को लगता है कि उसका लाडला लौट आया है। हर दस्तक पर वह बेटे के आने की चाह में द्वार तक दौड़ जाती है, लेकिन मायूस चेहरे के साथ आंखों में आंसू लेकर फिर घर में वापस आ जाती है। कमोबेश यही हाल सिरसिया ब्लॉक के थारू जनजाति गांव रनियापुर की रहने वाले उत्तराखंड की आपदा में लापता हुए युवकों के प्रत्येक परिवार का है।

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घर की माली हालत ठीक करने के लिए इस गांव के अजय कुमार, छोटू, प्रभुनाथ, वेद प्रकाश व हरीलाल ने अपने साथियों के साथ उत्तराखंड की राह पकड़ी थी। परिवार के जीने का सहारा बने इनमें से कुछ तो घर में शादी होने के कारण लौट आए तो कुछ वहीं मजदूरी-मेहनत कर रहे थे। सात फरवरी को चमोली जिले के तपोवन में जल प्रलय के चपेट में हरीलाल, अजय कुमार, छोटू, प्रभुनाथ व वेद प्रकाश आ गए, जबकि हीरालाल, राजेश व राजू आपदा के करीब होते हुए भी नई जिदगी मिल गई। कुछ दिन रहकर यह तीनों लापता पांच युवाओं का खोजबीन करते रहे, लेकिन जब कोई सुराग नहीं लगा तो मन मसोस कर वापस घर लौट आए। इन लोगों के घर लौटने पर लापता हुए युवकों के परिवार को जैसे काठ मार गया। बची-खुची आशा फिर निराशा में बदल गई। बेटे के लापता होने की दास्तां बयां करते-करते छोटू की 70 वर्षीय मां परदेसनी फफक पड़ती हैं। कहती हैं कि 18 दिन बीत चुके हैं, लेकिन कोई खबर नहीं मिली है। साथ में गए लोग भी घर लौट आएं हैं। बेटे की वापसी की उम्मीद का दीया लेकर हर मंदिर व देवी-देवताओं के चौखट पर मत्था टेक रहीं हैैं। प्रभुनाथ की 65 वर्षीय मां जुगमानी को विश्वास ही नहीं है कि उसका दुलारा कहीं खो गया है। अजय और हरीलाल के परिवार पर जैसे कहर टूट पड़ा है। अजय की 65 वर्षीय मां सीता देवी व पत्नी रेखा कहती है कि सात फरवरी को आपदा में लापता होने की मनहूस खबर मिली। उन्होंने बताया कि घटना के एक दिन पहले उनकी बात अजय से हुई थी। लापता होने की खबर के बाद इस घर की खुशी काफूर हो गई। इतने दिनों तक रोते-रोते अजय की मां और पत्नी की आंखें तो जैसे पथरा गई हैं। पहाड़ सी जिदगी कैसे कटेगी यह सोच कर वेद प्रकाश की पत्नी सुशीला का रो-रोक कर बुरा हाल है। उत्तराखंड से लौट कर आए हीरालाल, राजेश व राजू तबाही की दास्तां सुनाते-सुनाते फफक पड़ते हैं। कहते हैं कि वह खौफनाक मंजर कभी भुलाया नहीं जा सकता। इनसेट

भेजा गया ब्लड का सैंपल

भिनगा एसडीएम प्रवेंद्र कुमार ने बताया कि उत्तराखंड आपदा में लापता हुए पांच युवकों के 10 परिवारजनों के खून का सैंपल लिया गया है। उन्होंने बताया कि लिए गए ब्लड के सैंपल को हरिद्वार भेजा गया है।


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