मल्हीपुर-भिनगा मार्ग पर आवागमन बंद, नाव के सहारे सफर
आधी से अधिक सड़क कट जाने के बाद लिया गया निर्णय स्थानीय लोगों में आक्रोश
संसू, जमुनहा(श्रावस्ती) : जमुनहा क्षेत्र में मधवापुर घाट पुल को जोड़ने वाली सड़क का आधा से अधिक हिस्सा नदी की धारा में समाहित होने के बाद मल्हीपुर-भिनगा मार्ग पर आवागमन रोक दिया गया है। स्थानीय लोग कम दूरी तय करने के लिए नाव के सहारे नदी पार कर गंतव्य तक पहुंच रहे हैं। सड़क को बचाने के लिए प्रशासन की ओर से बरती गई शिथिलता से लोगों में आक्रोश है।
बरसात का मौसम शुरू होने के बाद नदी में पानी का तेज बहाव मधवापुर घाट पर बने पुल को जोड़ने वाली सड़क की ओर हिलोरे लेते हुए बढ़ने लगी। इसके साथ ही मल्हीपुर-भिनगा मार्ग के कटने की आशंका हो गई थी। सड़क कटने से करोड़ों का पुल निष्प्रयोज्य हो सकता था। इसको लेकर स्थानीय लोग सक्रिय हुए। सड़क को बचाने के लिए गुहार लगाई, लेकिन जिम्मेदार मौन साधे रहे। तीन अगस्त से नदी ने सड़क की पटरी को काटना शुरू कर दिया। देखते ही देखते सड़क भी नदी की धारा में समाहित होने लगी। तब जाकर जिम्मेदारों ने सुधि ली। आनन-फानन में बचाव कार्य शुरू हुए, लेकिन इसका कोई परिणाम नहीं निकल सका। यहां नदी आधे से अधिक सड़क को निगल चुकी है। ऐसे में इस रास्ते पर सफर करना खतरे से खाली नहीं है। प्रशासन ने लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सड़क पर आवागमन रोक दिया है। स्थानीय नाव चालक नदी में नाव डालकर लोगों को रास्ता पार करवा रहे हैं। नाव का संचालन बंदरहा बाबा कुटी से नदी पर बने पुल तक होता है। इस बीच पानी का बहाव कम होने से नदी का कटान भी सुस्त हुआ है। ऐसे में सड़क मरम्मत कराने की तैयारी की जा रही है। एसडीएम आरपी चौधरी ने बताया कि कटी सड़क का मरम्मत कराया जा रहा है। शीघ्र ही भिनगा-मल्हीपुर मार्ग पर आवागमन शुरू होगा। इनसेट
पिलर कटे तो कठिन होगा सीमा का निर्धारण
चित्र परिचय- 06एसआरटी02 में फोटो है।
श्रावस्ती : जमुनहा क्षेत्र में राप्ती नदी कलकवा, सनतलिया तटबंध के पास बह रही थी। लगभग आठ वर्ष पूर्व नदी ने अपना रास्ता बदल लिया और नेपाल राष्ट्र के गंगापुर, भोजपुर, भगवानपुर, मटहिया के किनारे पुराने रास्ते पर नदी बहने लगी। धीरे-धीरे कटान करते हुए नदी की धारा अब नो-मैंस लैंड के निकट पिलर संख्या 642/13बी के निकट पहुंच गई है। कई स्थानों पर नो-मैंस लैंड भी नदी की धारा में समाहित हो चुके हैं। कटान जारी रही तो शीघ्र ही यहां लगे सीमा स्तंभ का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। बता दें कि जमुनहा क्षेत्र में भारतीय पिलर संख्या 643, 644 व 645 कई वर्ष पूर्व नदी की कटान में समाहित हो चुके हैं। इनका कोई नामोनिशान नहीं है। इसके चलते सीमा पर भारतीय व नेपाली किसानों के बीच आए दिन भूमि विवाद बना रहता है। पिलर संख्या 641/13 व 642/13ए के बीच से राप्ती भारतीय क्षेत्र में प्रवेश करते हुए शिवपुर भागड़ गांव की ओर बढ़ रही है। इस दौरान पिलर नदी की धारा में समाहित हुए तो सीमा निर्धारण में कठिनाई उठानी पड़ेगी।