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सड़क सुरक्षा अभियान)-बैक लाइट न रिफ्लेक्टर कैसे सुरक्षित हो सफर

श्रावस्ती सुरिक्षत सफर के लिए वाहनों की फिटनेस सबसे जरूरी है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 25 Nov 2020 10:55 PM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2020 10:55 PM (IST)
सड़क सुरक्षा अभियान)-बैक लाइट न रिफ्लेक्टर कैसे सुरक्षित हो सफर
सड़क सुरक्षा अभियान)-बैक लाइट न रिफ्लेक्टर कैसे सुरक्षित हो सफर

भूपेंद्र पांडेय, श्रावस्ती : सुरिक्षत सफर के लिए वाहनों की फिटनेस सबसे जरूरी है। कौन सा वाहन किस दिशा में जा रहा है, उसे किधर मुड़ना है, कोहरा हो या धुंध बड़े वाहन व छोटे वाहन की पहचान हो सके। इसके लिए वाहनों में लाइटिग की कई प्रकार से व्यवस्था होनी चाहिए। इसके अलावा वाहन के शीशे ठीक हों व हेड लाइट का एक चौथाई भाग काला हो। यह बहुत जरूरी है, लेकिन इन सबसे बेपरवाह वाहन चालक अनफिट वाहनों को सड़कों पर दौड़ा रहे हैं। जिम्मेदार महकमा भी इन पर रोक लगाने में अक्षम बना है। इसके कारण आए दिन दुर्घटनाओं में मौतें हो रही हैं।

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सड़कों पर वाहनों की बढ़ती भीड़ के बीच यातायात को सुरिक्षत बनाए रखने के लिए वाहनों का फिट होना जबसे जरूरी है। इसमें गाड़ी में बैक लाइट, रिफ्लेक्टर, इंडीकेटर, फाग लाइट, हेड लाइट व पार्किंग लाइट होने के साथ गाड़ी का शीशा ठीक होना चाहिए। इससे सड़क पर चल रहे वाहन वाहन को पीछे चल रहे लोगों की दिशा व दशा का पता चलता रहता है। पीछे चल रहे लोगों को अपने वाहन की रफ्तार तय करने में भी आसानी होती है। गाड़ी का ब्रेक लगते ही बैक लाइट जलने लगती है। इससे पीछे के वाहन चालकों को पता चल जाता है कि आगे जा रही गाड़ी रुकने वाली है। इसी प्रकार अन्य लाइटों व रिफ्लेक्टरों की भी यातायात को सुरक्षित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इन सबसे वाहन चालक बेपरवाह बने रहते हैं।

एक लाइट वाले दौड़ रहे ट्रैक्टर

जिले के विभिन्न मार्गों पर एक लाइट के सहारे चल रहे ट्रैक्टर व ट्रक जैसे वाहन आसानी से देखे जा सकते हैं। वाहन की अन्य लाइटों की तो दशा ही खराब है। अधिकांश वाहनों की बैक लाइट टूटी होती है। मोटर साइकिल, साइकिल व रिक्शा में इंडीकेटर टूटा मिलेगा। तांगा व बुग्गी में तो रिफ्लेक्टर लगते ही नहीं हैं। एक लाइट वाले ट्रैक्टर-ट्रॉलियों से आए दिन दुर्घटनाएं भी होती हैं। ट्रैक्टर-ट्रॉलियों की नहीं होती जांच

वाहनों की जांच के लिए विशेष अभियान चलाया जाता है। वैसे भी समय-समय पर एआरटीओ, पुलिस व यातायात पुलिस जांच करती है, लेकिन इन जांचों में ट्रैक्टर-ट्रॉलियों की कोई जांच पड़ताल नहीं होती है। पुलिस के मन में आया तो चालक का लाइसेंस देख लेते हैं। कृषि कार्यो में प्रयोग होने वाले ट्रैक्टर व्यवसायिक कार्य में लगे रहते हैं, लेकिन इन्हें पूछने वाला कोई नहीं है। पांच हजार जुर्माने का है प्राविधान

सड़क पर वाहन के उतरने से पहले उसकी बैक लाइट, रिफ्लेक्टर व इंडीकेटर के साथ पार्किंग लाइट लगी होनी चाहिए। यातायात प्रभारी राजीव मिश्र बताते हैं कि ये सभी लाइटें व रिफ्लेक्टर हमेशा ठीक से काम करते रहने चाहिए। वे बताते हैं कि जांच के दौरान इन सभी चीजों के साथ यह देखा जाता है कि वाहन के हेड लाइट का एक चौथाई हिस्सा काला हो। गाड़ी की बाडी फिट हो। टायर व अन्य पार्ट ठीक दशा में हों। वाहन अनफिट पाए जाने पर पांच हजार रुपये के जुर्माने का प्राविधान है। रिफ्लेक्टर खराब होने पर 10 हजार रूपये का जुर्माना वसूला जाता है। अभियान चलाकर समय-समय पर वाहनों की फिटनेस व चालकों का लाइसेंस चेक किया जाता है। कमी मिलने पर कार्रवाई होती है। पंजीकृत वाहनों का वर्षवार विवरण

पंजीकृत वाहन 2018 2019 2020

दोपहिया 12160 14307 3405

छोटे वाहन 231 214 75

ट्रक 10 06 02 ट्रैक्टर 638 455 264

छोटेभार वाहन 231 149 38

जीप व टैंपो 163 121 06

रिक्शा 26 94 38

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कुल 13459 15346 3828


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