कोरोना ने तोड़ दी कमर, कौड़ी-कौड़ी को मोहताज गुरुजी
पांच माह से बंद हैं स्कूल फीस जमा न होने से प्रबंध तंत्र नहीं कर पा रहा वेतन का भुगतान
भूपेंद्र पांडेय, श्रावस्ती : पांच माह से स्कूल बंद हैं। निजी विद्यालयों में पढ़ रहे बच्चों के अभिभावक फीस नहीं जमा कर रहे हैं। आमदनी शून्य है तो विद्यालय प्रबंध तंत्र शिक्षकों को वेतन का भुगतान भी नहीं कर पा रहा है। सम्मानजनक पेशे में होने से शिक्षक दिहाड़ी मजदूरी भी नहीं कर सकते। इस प्रकार निजी विद्यालयों में अध्यापन कर परिवार का भ्रमण-पोषण करने वाले गुरुजी की कोरोना ने आर्थिक कमर तोड़ दी है।
स्नातक, परास्नातक व बीएड बीएड तक की पढ़ाई के बाद भी रोजगार न मिलने पर परिवार के भरण-पोषण के लिए बड़ी संख्या में लोग निजी विद्यालयों में सम्मानजनक ढंग से अध्यापन का काम पकड़ लेते हैं। वेतन के तौर पर होने वाले भुगतान की राशि भले कम हो, लेकिन समाज से अशिक्षा का दर्द मिटाने वाले गुरुजी का बच्चे व उनके अभिभावक बहुत सम्मान करते हैं। मन लगाकर बच्चे पढ़ाई करें, इसके लिए शिक्षक उनके सामने आदर्श नागरिक की तरह बर्ताव करते हैं। विद्यालय प्रबंध फीस के तौर पर प्रतिमाह माह मिलने वाली राशि से शिक्षकों को वेतन का भुगतान करता है। महीने में तय तारीख तक पारिश्रमिक के तौर पर वेतन मिल जाने से निजी स्कूलों के शिक्षक घर की रसोई से लेकर बच्चों की सुख-सुविधाओं तक का इंतजाम करते हैं। कोरोना संक्रमण का दौर शुरू होते ही मार्च माह में सभी स्कूलों को बंद कर दिया गया। अगस्त का महीना आधा बीतने को है। अभी तक स्कूल नहीं खुल सके हैं। लगभग साढ़े पांच माह की लंबी अवधि बीत चुकी है, लेकिन स्कूल नहीं खुल रहे हैं। जब पठन-पाठन नहीं हो रहा है तो अभिभावक फीस जमा करने के बारे में भी नहीं सोचते हैं। स्कूल में पैसे नहीं आ रहे हैं तो प्रबंध तंत्र शिक्षक व अन्य कर्मचारियों का वेतन भुगतान नहीं कर रहा है। शिक्षकों की एक बड़ी आबादी कोरोना के चलते रोजगार में होते हुए भी बेरोजगार हो गई है। इनसेट
मान्यता प्राप्त स्कूलों का विवरण
विद्यालय संख्या शिक्षक अन्य कर्मी
प्राथमिक 278 1390 00
उच्च प्राथमिक 87 435 87
माध्यमिक विद्यालय 86 1068 450
महाविद्यालय 09 108 45
कुल 460 3001 582
वर्जन
निजी विद्यालयों के शिक्षकों का वेतन भुगतान हो रहा है अथवा नहीं, इसकी जानकारी करने व इन स्कूलों के शिक्षकों को किसी प्रकार की मदद दिलाने को लेकर शासन की ओर से कोई निर्देश नहीं है। शिक्षकों के आर्थिक सहयोग के लिए कोई योजना भी नहीं है।
ओमकार राणा, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, श्रावस्ती।