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आरक्षण में 'खेल' कोई नई बात नहीं

थारू जनजाति थे ही नहीं फिर भी दो पंचायतों को कर दिया गया था आरक्षित

By JagranEdited By: Published: Sat, 06 Mar 2021 11:14 PM (IST)Updated: Sat, 06 Mar 2021 11:14 PM (IST)
आरक्षण में 'खेल' कोई नई बात नहीं

विजय द्विवेदी, श्रावस्ती : भारत-नेपाल सीमा पर बसे श्रावस्ती जिले में आरक्षण में 'खेल' कोई नई बात नहीं है। इसके पहले भी यहां आरक्षण में हुए खेल के चलते सिरसिया ब्लॉक के बलनपुर बसंतपुर व पूरे प्रसाद ग्राम पंचायत को पांच वर्षों तक प्रधान नहीं मिल सका। एक भी थारू जनजाति न होने के बाद भी इन दोनों गांव पंचायतों को अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित कर दिया गया था। आरक्षण निर्धारण में हुए खेल के चलते इन गांव पंचायतों में प्रधानी का चुनाव नहीं हो सका। अनुसूचित जनजाति महिला के लिए आरक्षित किए गए इन गांव पंचायतों में थारू जनजाति का कोई व्यक्ति ही नहीं रहता था और इनके लिए पद आरक्षित कर दिया गया था।

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मामला वर्ष 2010 का है। सिरसिया ब्लॉक के बलनपुर बसंतपुर व पूरे प्रसाद गांव पंचायत को प्रधान पद के लिए अनुसूचित जनजाति महिला के लिए आरक्षित किया गया था, कितु नामांकन के अंतिम दिन इन दोनों गांव पंचायतों में अनुसूचित जनजाति के न होने का हवाला देकर प्रशासन की ओर से नामांकन प्रक्रिया में भाग लेने के लिए गईं महिलाओं को वापस कर दिया गया था। कहा गया था कि इन गांव पंचायतों में थारू जनजाति के लोग नहीं रहते हैं। इसके बाद आरक्षण को लेकर दोनों ग्राम पंचायतें सुर्खियों में आ गई थी। सूबे में नजीर बनी इन गांव पंचायतों में पांच वर्षों तक चुनाव नहीं हो सका और पंचायतों की कमान प्रशासक के हाथ में रही। ऐसे ही इस बार भी आरक्षण निर्धारण में खेल किया गया है, जो चर्चा का विषय बनी हुई हैं।

त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में आरक्षण के लिए बनाए गए फार्मूले में कोई बदलाव नहीं हुआ है। इसका असर आरक्षण में देखने को मिला। जारी आरक्षण नीति का आधार वर्ष 2011 की जनगणना को बनाया गया है। इन 10 वर्षों में जनसंख्या का आंकड़ा बदल गया। 1324465 लोगों की बढ़ोतरी होने के बाद भी आरक्षण पर कोई भी असर नहीं पड़ा है। जिस वर्ग की जहां अधिकता थी वहां उसको अपना प्रतिनिधि मिलना मुश्किल हो रहा है। गिलौला ब्लॉक के 2064 की आबादी वाले गोड़ारी में पिछड़ी जाति के 1176 लोग रहते हैं, जबकि सामान्य की संख्या 582 है। इसके बाद भी इसे सामान्य सीट के लिए आरक्षित कर दिया गया, जबकि अल्फाबेट के अनुसार इस गांव को पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित होना चाहिए। दंदौली गांव पंचायत को पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित किया गया है, जबकि गोड़ारी से पिछड़ी जाति के लोगों की यहां संख्या कम है। 2000 व 2005 में यह गांव पंचायत पिछड़ा वर्ग व पिछड़ा वर्ग महिला के लिए आरक्षित भी किया गया है। 76 फीसद पिछड़ी जाति की संख्या वाले विजयपुर सिसावा को भी अनारक्षित कर दिया गया है। सीडीओ ईशान प्रताप सिंह कहते हैं कि नियमों के तहत आरक्षण व्यवस्था लागू की गई है।


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