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गोशाला में ऐसी व्यवस्था, सबका जाना है मना

मनमानी पिपरी गोशाला में अव्यवस्था उजागर होने के बाद मुख्यमंत्री ने लगाई थी फटकार गोशाला में लोगों का प्रवेश निषेध केयर टेकरों पर मुकदमा दर्ज कर हटाया

By JagranEdited By: Published: Mon, 13 Sep 2021 10:16 PM (IST)Updated: Mon, 13 Sep 2021 10:16 PM (IST)
गोशाला में ऐसी व्यवस्था, सबका जाना है मना
गोशाला में ऐसी व्यवस्था, सबका जाना है मना

श्रावस्ती : बेअंदाज नौकरशाही सरकारी योजनाओं को किस तरह से पलीता लगाती है, पिपरी गोशाला इसका छोटा सा उदाहरण है। हकीकत जब सामने आती है तो प्रशासन दमनकारी नीति अपनाकर सब कुछ छिपाने पर उतर आता है।

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घटना बताने के लिए आपको थोड़ा पीछे ले चलते हैं। गिलौला ब्लाक के गुजरवारा ग्राम पंचायत के पिपरी में बेसहारा गोवंशों के लिए गोशाला का निर्माण कराया था। कुछ दिन तो यहा गोवंशों के लिए चारा-पानी व इलाज की समुचित व्यवस्था रही, धीरे-धीरे गोशाला में अव्यवस्था हावी हो गई। गोवंश भूख और बीमारी से तड़पकर दम तोड़ रहे थे। स्थानीय लोगों ने इसकी शिकायत जिम्मेदारों से की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। जागरण ने 20 जुलाई के अंक में ''गोशाला में दो माह में भूख और प्यास से मर गए 48 गोवंश'' शीर्षक से प्रमुखता के साथ समाचार प्रकाशित किया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खबर का संज्ञान लेकर टीम-9 के साथ बैठक में मामले की जांच कराने के निर्देश दिए। इसके बाद जिला प्रशासन आनन-फानन कमिया छिपाने में जुट गया। गोशाला में अव्यवस्था के बारे में बोलने पर देखरेख कर रहे लोगों पर भी मुकदमा दर्ज करा दिया गया।

गायत्री परिवार ट्रस्ट बहराइच के रामकुमार श्रीवास्तव और मनीराम वर्मा ने आरटीआइ से जवाब मांगा तो एफआइआर की बात कहकर जवाब नहीं दिया गया है। इनका कहना है कि आज हालत यह है कि किसी को गोशाला के पास फटकने नहीं दिया जा रहा। अगर सब कुछ चाकचौबंद है तो आपको सहर्ष अंदर के हालात सार्वजनिक करने चाहिए।

अस्थिपंजर खोल रहे पोल

भले ही प्रशासन सब कुछ बेहतर दिखाने की कोशिश कर रहा हो लेकिन गोशाला के निकट नहर के किनारे पड़े गोवंश के अवशेष दास्ता खुद ही बया कर रहे हैं। स्थानीय लोगों ने बताया कि गोशाला में गोवंश के लिए व्यवस्था भले ही न हो, लेकिन किसी को वहां तक जाने ही नहीं दिया जाता।

सवाल जो उठते हैं

-गोशाला के केयर टेकरों को अज्ञात बताकर मुकदमा दर्ज किया गया।

-क्या प्रशासन ने बिना नाम पता जाने ही केयर टेकरों को रख लिया

-जो पशु चिकित्साधिकारी खुद रजिस्टर में भूसा न होने और पशुओं के मरने की बात लिख रहे हैं वह अब मामला कोर्ट में लंबित होने की बात कहकर आरटीआइ का जवाब नहीं दे रहे। (केयर टेकरों के बयान और डाक्टर के हस्ताक्षरित साक्ष्य मौजूद)।

- मामला तो अभी कोर्ट में गया ही नहीं और आरटीआइ में ऐसी कोई सूचना नहीं मांगी गई थी, जिसका एफआइआर से संबंध हो।

-गोशाला को निषिद्ध स्थान बताकर लोगों का प्रवेश बंद करा दिया। गोवंश को खतरे के लिहाज से यह कदम उचित है तो जिले की सभी गोशालाओं में यह कदम उठाना चाहिए।

- जब पशुचिकित्साधिकारी कई बार लिख चुके हैं कि भूसे की कमी है तो सब कुछ चाक चौबंद कैसे।


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