कोरोना काल में मरीजों के मसीहा बने एंबुलेंस चालक
संकट के समय में भी बखूबी निभा रहे दायित्व मरीजों को अस्पताल पहुंचाना मान रहे अपना पहला धर्म
श्रावस्ती : कोरोना काल में जहां सभी लोग अपने-अपने घरों में कैद में हैं। वहीं जिले में तैनात एंबुलेंस चालक बखूबी अपने दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं। बिना परिवार की चिता किए मरीजों को अस्पताल तक पहुंचाने में दिन-रात लगे हैं।
जिले में कोरोना संक्रमितों की बढ़ती संख्या से जहां लोग डरे व सहमे हुए हैं, लेकिन एंबुलेंस कर्मियों की जिम्मेदारी बढ़ती जा रही है। कोरोना काल में एंबुलेंस कर्मी मरीजों के लिए मसीहा बने हुए हैं। कोरोना की दूसरी लहर के चलते कई एंबुलेंस कर्मी कोरोना संक्रमित भी हो गए। इसके बावजूद ठीक होने के बाद फिर से ड्यूटी कर रहे हैं। कई एंबुलेंस कर्मी सैकड़ों किमी परिवार से दूर रहकर ड्यूटी निभा रहे हैं। जिले में 102 व 108 एंबुलेंस की सेवा में 40 एंबुलेंस लगी हुई हैं। इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन रितेश शुक्ला बताते हैं कि ड्यूटी के दौरान कई साथी बीमार भी हो गए, लेकिन मरीजों की सेवा करने का मनोबल नहीं टूटा। एंबुलेंस चालक चंद्रमणि दुबे का कहना है कि पिछले वर्ष भी कोरोना महामारी के दौरान ड्यूटी निभाई। इस बार दूसरी लहर में भी ड्यूटी कर रहे हैं। उनका कहना है कि रोगियों के प्रति सेवा भाव का होना जरूरी है। ईएमटी मिथुन त्रिपाठी का कहना है कि संक्रमितों को अस्पताल पहुंचाने में उन्हें काफी सुकून मिलता है। सावधानी बरतकर कोरोना से बचा जा सकता है। खुद को सुरक्षित रखकर शासन की ओर से जारी सभी दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए दिन-रात ड्यूटी निभा रहे हैं। समय मिलने पर परिवार का मोबाइल फोन से हालचाल ले लेते हैं।