प्रशासन की रोक के बाद सीताद्वार में उमड़ा आस्था का सैलाब
जागरण टीम श्रावस्ती सोमवार को अक्षयनवमी पर्व पर आस्था का सैलाब उमड़ता रहा। श्रद्धालुओं ने सी
जागरण टीम, श्रावस्ती : सोमवार को अक्षयनवमी पर्व पर आस्था का सैलाब उमड़ता रहा। श्रद्धालुओं ने सीताद्वार व रजियाताल झील में डुबकी लगाकर परिक्रमा की। सीता मैया को पुष्प व प्रसाद अर्पित किया। यहां मेले जैसा माहौल रहा। पांडव कालीन विभूतिनाथ मंदिर से शिव-पार्वती की शोभा यात्रा निकाली गई। प्रशासन की रोक के बावजूद सीताद्वार में हजारों की भीड़ जुटी।
कोरोना के बढ़ रहे मामलों के मद्देनजर मेला कमेटी व प्रशासनिक अधिकारियों की रविवार को सीताद्वार में बैठक हुई। इसमें अक्षय नवमी व कार्तिक पूर्णिमा पर सीताद्वार में मेले का आयोजन न करने का निर्णय लिया गया था। कमेटी की ओर से क्षेत्र में मेला निरस्त होने का प्रचार करवाने के बावजूद सोमवार को अक्षय नवमी पर्व पर सीताद्वार में हजारों श्रद्धालुओं का जमावड़ा रहा। लोगों ने सीताद्वार झील में स्नान आचमन कर सीताजी के मंदिर में पूजा-अर्चना की। मेला कमेटी के अध्यक्ष प्रतिनिधि अजय त्रिपाठी अपनी टीम के साथ कोविड प्रोटोकॉल पालन के लिए मुस्तैद रहे। एसडीएम राजेश मिश्र ने बताया कि पर्व पर सीताद्वार में बाहरी लोगों का प्रवेश प्रतिबंधित किया गया है। स्थानीय श्रद्धालुओं को कोविड प्रोटोकॉल के साथ मात्र दर्शन पूजन की छूट है। कार्तिक पूर्णिमा मेला स्थगित कर दिया गया है। हिमालय की तलहटी में स्थित पांडव कालीन विभूतिनाथ शिव मंदिर सदियों से आस्था का केंद्र है। लगभग सात दशक पूर्व से चली आ रही परंपरा के अनुसार सोमवार को कार्तिक शुक्ल पक्ष नवमी पर्व पर भोले शिव व माता पार्वती की डोली आश्रम से कैथौली, बेचईपुरवा, डगमरा होते हुए सिरसिया चौराहे पर पहुंची। बाहर से आए श्रद्धालुओं द्वारा पूजन-अर्चन किया गया। परंपरा के अनुसार डोली पुरानी बाजार स्थित स्वर्गीय रामदुलारे सोनी के घर पहुंची। यहां उनके पुत्रों ने विधि-विधान से माता पार्वती का श्रृंगार किया। पूजन के बाद डोली में शिव-पार्वती को विराजमान कर संत, महात्माओं को दक्षिणा देकर विदा किया गया। डोली में विराजमान माता पार्वती व भोले शिव के जयकारों के साथ श्रद्धालु परिक्रमा के लिए बालापुर, लालपुर, तकिया, कुशमहवा होते हुए जंगल के कंकरीले-पथरीले रास्तों को पार कर रजियताल पहुंचे। यहां गंगा स्नान कर गंगा जल, पुष्प, अक्षत, दूध, भांग, बेलपत्र, धतूर के साथ गगनभेदी जयकारा लगाते हुए पुन: विभूतिनाथ मंदिर पहुंच कर भोले शिव का जलाभिषेक कर मनोवांछित फल की कामना की। मान्यता है कि जो भी भक्त श्रद्धा भाव से इस पुण्य तिथि में रजियताल से जल लाकर भोले शिव को जलाभिषेक करते हैं उनकी मन्नते अवश्य पूर्ण होती हैं। आश्रम के महंथ शिवनाथ गिरि, प्रबंधक पद्माकर द्विवेदी, ज्ञानी महराज, चंदन गिरि, परमजीत गिरि, उमा शंकर पांडेय समेत बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।