आखिर इन गोवंशों का कौन बनेगा पालनहार?
शामली जेएनएन बेसहारा गोवंशों के संरक्षण के लिए सरकार गंभीर है लेकिन जिले में अभी भी बड़ी संख्या में गोवंशों को सहारा नहीं मिला है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक तो करीब दो सौ गोवंश ही बेसहारा है लेकिन जमीनी हकीकत जुदा है। वहीं अस्थाई आश्रय स्थलों में जिन गोवंशों का संरक्षण हुआ है वहां भी अव्यवस्थाएं हावी हैं। चारे के नाम पर सूखा भूसा दिया जा रहा है।
शामली, जेएनएन : बेसहारा गोवंशों के संरक्षण के लिए सरकार गंभीर है, लेकिन जिले में अभी भी बड़ी संख्या में गोवंशों को सहारा नहीं मिला है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक तो करीब दो सौ गोवंश ही बेसहारा है, लेकिन जमीनी हकीकत जुदा है। वहीं, अस्थाई आश्रय स्थलों में जिन गोवंशों का संरक्षण हुआ है, वहां भी अव्यवस्थाएं हावी हैं। चारे के नाम पर सूखा भूसा दिया जा रहा है। साथ ही ठंड से बचाव के लिए भी अभी तक कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं। उधर, किसान भी परेशान हैं, क्योंकि बेसहारा पशु फसलों को भारी नुकसान पहुंचाते हैं। किसानों को फसल बचाने के लिए दिन-रात पहरा भी देना पड़ता है।
बता दें कि जनवरी में पशुपालन विभाग ने सर्वे किया था और 3045 बेसहारा पशु चिह्नित किए। पशुपालन विभाग के अनुसार 2844 पशुओं का संरक्षण हो चुका है। इन्हें अस्थाई गोश्रय स्थलों और वृहद गौ संरक्षण केंद्र में रखा गया है। जिले में 32 गोश्रय स्थल और एक वृहद गौ संरक्षण केंद्र का संचालन हो रहा है। एक वृहद गौ संरक्षण केंद्र नगली जमालपुर में निर्माणाधीन है। साथ ही संरक्षित गोवंशों में से 292 गोवंश मुख्यमंत्री बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना के तहत पालन के लिए इच्छुक लोगों को दिए गए हैं। एक गोवंश के भरण-पोषण के लिए 30 रुपये प्रतिदिन मिलते हैं।
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फिर से बढ़ गई संख्या
शामली: शहर में गोवंशों की संख्या काफी बढ़ चुकी है। हर मार्ग पर बेसहारा गोवंश दिखाई देते हैं और कूड़े ढेर में भोजन की तलाश करते रहते हैं। साथ ही कई बार तो गोवंश सड़क के बीचोंबीच खड़े हो जाते हैं और इसके चलते कई बाद दुर्घटना होते-होते बची। नगर पालिका सौ से अधिक गोवंश पकड़ चुकी है, लेकिन फिर से संख्या बढ़ जाती है।
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गोश्रय स्थलों का बुरा हाल
बाबरी: क्षेत्र में अस्थाई गोश्रय स्थलों का बुरा हाल है। अभी तक कहीं भी गोवंशों को ठंड से बचाने के लिए कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं। क्षेत्र में बाबरी, बंतीखेड़ा, कुरमाली, खानपुर, महावतपुर में आश्रय स्थल बनाए गए हैं। जिलाधिकारी निर्देश दे चुके हैं कि गोवंशों का संरक्षण बेहतर ढंग से किया जाए, लेकिन ग्राम प्रधानों और ग्राम पंचायत सचिव कोई कदम नहीं उठा रहे हैं। रात में ठंड बढ़ जाती है, लेकिन गोवंशों को खुले आसमान के नीचे ही रहना पड़ रहा है। इसके अलावा चारे-पानी की व्यवस्था भी ठीक नहीं है। कोई अधिकारी निरीक्षण को आता है तो अव्यवस्थाओं पर पर्दा डालने की पूरी कोशिश की जाती है।
रामडा और गंदराउ में हैं अस्थायी गोशाला
कैराना: क्षेत्र के गांव रामडा और गंदराउ में वर्तमान में अस्थायी गोश्रय स्थल हैं। गांव अलीपुर में गौशाला बंद हो गई है, क्योंकि यहां आश्रित गोवंशों को ग्रामीणों को गोद दे दिया गया है। रामडा और गंदराउ आश्रय स्थलों में व्यवस्था पूरी नहीं है। रामडा में चहारदीवारी का निर्माण नहीं हुआ तो गंदराउ में भी कुछ ऐसा ही हाल है।
फसलें हो रही नष्ट
कांधला: कस्बे और ग्रामीण क्षेत्र में बड़ी संख्या में गोवंश घूम रहे हैं। गोश्रय स्थलों की स्थिति खराब है। कई बार लोग हंगामे भी कर चुके हैं। ग्रामीण कईं बार प्रशासन से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो सका है।
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इन्होंने कहा..
करीब 200 गोवंश ही बेसहारा हैं। इन्हें भी जल्द संरक्षित कर दिया जाएगा। नगली जमालपुर में वृहद गो संरक्षण केंद्र जल्द ही बनकर तैयार हो जाएगा। जिलाधिकारी ने पिछले दिनों सभी गोश्रय स्थलों में गोवंशों को ठंड से बचाने के इंतजाम करने के निर्देश दिए हैं। इस दिशा में काम चल रहा है। ग्राम पंचायतों को एक गोवंश के भरण-पोषण के लिए 30 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से भुगतान किया जाता है।
- डॉ. राजेश कुमार, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी, शामली