वाटर ट्रीटमेंट प्लांट निर्माण कार्य शुरू
शहर से निकलने वाले गंदे पानी का ट्रीटमेंट कर सिचाई योग्य बनाने के लिए प्लांट का निर्माण शुरू हो गया है।
शामली, जेएनएन। शहर से निकलने वाले गंदे पानी का ट्रीटमेंट कर सिचाई योग्य बनाने के लिए प्लांट का निर्माण शुरू हो गया है। मंगलवार को खेड़ी गांव के पास सिचाई विभाग की आवंटित भूमि को जेसीबी से समतल कराने के साथ साफ-सफाई का काम किया गया। 26 दिसंबर को दिल्ली से विशेषज्ञों की टीम भी पहुंच जाएगी।
नगर पालिका क्षेत्र में एक बड़ा नाला (लिक नाला) है और 42 छोटे-छोटे नाले हैं। नाले-नालियों से होते हुए शहर का पूरा गंदा पानी लिक नाले से होकर ही गिरता है। यह नाला शहर से होते हुए खेड़ी गांव के पास तक है और आगे जाकर नाले से गंदा पानी पूर्वी यमुना नहर के एक छोटे रजवाहे में गिरता है। यह रजवाहा सल्फा गांव के पास कृष्णा नदी से मिलता है, यानि शहर का पूरा गंदा पानी नदी में जाता है। दिल्ली की सेंटर फॉर अर्बन एंड रीजनल एक्सीलेंस (क्योर) संस्था ने नगर पालिका और निर्मल हिडन संसाधन केंद्र के सहयोग से गंदे पानी का ट्रीटमेंट कर सिचाई योग्य बनाने को प्रोजेक्ट तैयार किया था। करीब डेढ़ माह पहले जिलाधिकारी अखिलेश सिंह के समक्ष प्रोजेक्ट को प्रस्तुत किया था और मंजूरी मिल गई थी। क्योर इंडिया के नोडल अधिकारी प्रणव भारद्वाज ने बताया कि ट्रीटमेंट एनारॉबिक रीड बैड सिस्टम से होगा और इसमें काफी हद तक पानी से हानिकारक तत्व निकल जाते हैं। करीब नौ लाख रुपये की लागत प्लांट बनाने में लगेगी और करीब दो माह में काम पूरा करने का लक्ष्य रखा है। शहर से प्रतिदिन डेढ़ करोड़ लीटर (15 एमएलडी) गंदा पानी निकलता है और दस हजार लीटर पानी का ही प्रतिदिन ट्रीटमेंट होगा। प्लांट के लिए सिचाई विभाग की 150 वर्ग मीटर जमीन मिली है। मंगलवार से सफाई और भूमि को समतल कराने का काम शुरू किया है। लोगों ने भूमि पर गोबर आदि के ढेर लगाए हुए थे। बताया कि काम शुरू करने से पहले पानी की जांच कराई गई थी, जिससे पता चला कि कौन-कौन से हानिकारक रसायन इसमें है। इसी हिसाब से तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। ट्रीटमेंट के बाद पानी से सिचाई की जाएगी। खेड़ी से लेकर सल्फा गांव तक जल पट्टी ईको सिस्टम संस्था वन विभाग के साथ मिलकर बटरफ्लाई पार्क बना रही है। ट्रीटमेंट के बाद पानी की आपूर्ति इस पार्क में की जाएगी। साथ ही आसपास के खेतों की सिचाई में भी पानी काम आएगा। उधर, नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी सुरेंद्र यादव ने बताया कि यह पायलेट प्रोजेक्ट है। अगर सफल रहा तो इसी तरह के और भी प्लांट तैयार कराने का प्रयास रहेगा।