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जिले की धरा पर जल्द फूटेंगे जलसंरक्षण के प्रयास के अंकुर

शामली जेएनएन । कृष्णा नदी गंदे नाले में तब्दील हो चुकी है। नदी में प्रदूषण बढ़ रहा है और अतिक्रमण की बेहिसाब है। हालांकि उम्मीद जगी है कि आने वाले समय में नदी में फिर से स्वच्छ जलधारा होगी। गंदे पानी का ट्रीटमेंट कर नदी में छोड़ने की योजना धरातल पर उतर रही हैं। हालांकि वर्तमान में चल रहे प्रयास पर्याप्त नहीं हैं लेकिन भविष्य को आशावान जरूर करते हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 06 Jan 2021 06:01 PM (IST)Updated: Wed, 06 Jan 2021 06:01 PM (IST)
जिले की धरा पर जल्द फूटेंगे जलसंरक्षण के प्रयास के अंकुर

शामली, जेएनएन । कृष्णा नदी गंदे नाले में तब्दील हो चुकी है। नदी में प्रदूषण बढ़ रहा है और अतिक्रमण की बेहिसाब है। हालांकि उम्मीद जगी है कि आने वाले समय में नदी में फिर से स्वच्छ जलधारा होगी। गंदे पानी का ट्रीटमेंट कर नदी में छोड़ने की योजना धरातल पर उतर रही हैं। हालांकि वर्तमान में चल रहे प्रयास पर्याप्त नहीं हैं, लेकिन भविष्य को आशावान जरूर करते हैं।

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शामली शहर में 42 बड़े-छोटे और एक लिक नाला है। लिक नाला शहर से होते हुए खेड़ी-लिलौन गांव तक जाता है। शहर का पूरा गंदा पानी लिक नाले से होते हुए पूर्वी यमुना नहर के एक छोटे रजवाहे में गिरता है। रजवाहा सल्फा गांव के पास कृष्णा नदी में मिलता है। कुल मिलाकर शहर का पूरा गंदा पानी नदी में जाता है। दिल्ली की क्योर इंडिया संस्था नगर पालिका शामली के साथ मिलकर खेड़ी-लिलौन में सिचाई विभाग की भूमि पर गंदे पानी को साफ करने का प्लांट बना रही है। क्योर इंडिया के नोडल अधिकारी प्रणव भारद्वाज ने बताया कि उनका प्लांट एनाराबिक रीड बैड सिस्टम का है। इसमें पानी को काफी हद तक साफ कर दिया जाता है। हालांकि पानी पीने योग्य नहीं बनता है। खेड़ी गांव से लेकर सल्फा गांव तक जल पट्टी ईको सिस्टम संस्था वन विभाग के साथ बटरफ्लाई पार्क बना रही है। ट्रीटमेंट के बाद पानी से पार्क में सिचाई का काम होगा। लगभग काम पूरा हो गया है और जल्द ही उद्घाटन होगा। जलालाबाद कस्बे का गंदा पानी चार नालों से होते हुए कृष्णा नदी में जाता है। ऐसे में चार स्थानों पर वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बनाने की योजना है। एक स्थान पर काम भी शुरू हो चुका है। पानी को काफी हद तक साफ करते हुए नदी में छोड़ने की योजना है।

मामौर में बनेगा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट

मामौर झील में कैराना नगर का गंदा पानी जाता है। झील ओवरफ्लो होने से आसपास के कई गांवों के किसानों की फसल नष्ट हो जाती है। नमामि गंगे की टीम निरीक्षण भी कर चुकी है। जल निगम की ओर से 15 एमएलडी क्षमता का सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का प्रस्ताव भेज चुका है। गंदे पानी का ट्रीटमेंट यमुना में छोड़ा जाएगा। वहीं, क्योर इंडिया संस्था भी नगर पालिका कैराना के सहयोग से कैराना बाइपास पर ट्रीटमेंट प्लांट बना रही है। प्लांट की क्षमता 15 हजार लीटर की और पानी को यहां स्थित एक तालाब में डाला जाएगा।

वर्षा जल संचयन को बढ़ेगी जागरूकता

जल संरक्षण में वर्षा जल संचयन काफी अहम है। कुछ सरकारी कार्यालय में तो वर्षा जल संचयन के लिए प्लांट बनाए गए हैं, लेकिन आम लोगों में जागरूकता अभी अधिक नहीं है। उम्मीद है कि जागरूकता के लिए गंभीरता से प्रयास होंगे।


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