गंदे पानी के ट्रीटमेंट का शुरू हुआ प्लांट
शहर से निकलने वाले गंदे पानी का ट्रीटमेंट करने का प्लांट शुरू हो गया है। पानी को सिचाई योग्य बनाकर वहीं पर बने जैव विविधता पार्क में छोड़ा जाएगा। भविष्य में अन्य छोटे-छोटे प्लांट बनाने की भी योजना है। गुरुवार को नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी सुरेंद्र यादव और पूर्व विधायक राजेश्वर बंसल ने प्लांट का उद्घाटन किया।
जेएनएन, शामली। शहर से निकलने वाले गंदे पानी का ट्रीटमेंट करने का प्लांट शुरू हो गया है। पानी को सिचाई योग्य बनाकर वहीं पर बने जैव विविधता पार्क में छोड़ा जाएगा। भविष्य में अन्य छोटे-छोटे प्लांट बनाने की भी योजना है। गुरुवार को नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी सुरेंद्र यादव और पूर्व विधायक राजेश्वर बंसल ने प्लांट का उद्घाटन किया।
शहर से प्रतिदिन करीब 25 एमएलडी गंदा पानी निकलता है। दिल्ली की संस्था सेंटर फार अर्बन एंड रीजनल एक्सीलेंस (क्योर) इंडिया ने नगर पालिका के सहयोग से योजना तैयार की थी और डेढ़ साल पहले खेड़ी गांव के पास स्थित सिंचाई विभाग की जमीन पर 12 हजार लीटर क्षमता के प्लांट का निर्माण शुरू किया था। प्लांट में फाइटोर्मेडिमेशन तकनीक का इस्तेमाल हुआ है, जिसे रीड बेड सिस्टम भी कहा जाता है। पानी को स्वच्छ करने के लिए बजरी, रेत आदि से गुजारा जाता है और हानिकारक तत्वों को सोखने की क्षमता रखने वाले पेड़-पौधे लगाए गए हैं। हालांकि, इस तकनीक से पानी सिचाई योग्य ही बनता है। नगर पालिका ने प्लांट के पास ही एक जैव विविधता पार्क भी बनाया है। प्लांट से पानी इसी पार्क में आएगा और पौधों की सिचाई होगी। कृष्णा नदी में जाता है गंदा पानी
शहर में एक लिक नाला है, जिसमें सभी नाले-नालियों से पानी आकर गिरता है। यह नाला खेड़ी गांव के पास तक है और गंदा पानी पूर्वी यमुना नहर के एक छोटे रजवाहे में गिरता है। रजवाहा सल्फा गांव तक कृष्णा नदी तक जाता है और ऐसे में शहर का गंदा पानी भी नदी में गिरता है। प्लांट शुरू होने से नदी का प्रदूषण कुछ कम होगा। क्योर संस्था के नोडल अधिकारी प्रणव भारद्वाज ने बताया कि इसी तरह के छोटे प्लांट लगाए जा सकते हैं, जिससे पूरे गंदे पानी को सिचाई योग्य बनाया जा सके। अधिशासी अधिकारी सुरेंद्र यादव ने बताया कि कुछ और प्लांट इसी तरह से लगाने के पूरे प्रयास किए जाएंगे। कोरोना के चलते हुआ विलंब
वाटर ट्रीटमेंट प्लांट कई माह पूर्व तैयार हो गया था। ट्रायल में कुछ कमियां सामने आई थीं, जिन्हें दुरुस्त कर लिया गया था, लेकिन अप्रैल से कोरोना केस बढ़ने लगे थे। ऐसे में प्लांट के उद्घाटन में विलंब हुआ।