'छप्पन भोग नहीं, भाव के भूखे हैं प्रभु'
शामली में श्रीराम कथा के दूसरे दिन कथाव्यास विजय कौशल महाराज ने श्रद्धालुओं को भगवान की भक्ति की मर्म समझाया। उन्होंने बताया कि भगवान छप्पन भोग के भूखे नहीं होते, वे तो भाव के भूखे होते हैं।
जागरण संवाददाता, शामली : श्रीराम कथा के दूसरे दिन कथाव्यास विजय कौशल महाराज ने श्रद्धालुओं को विभिन्न प्रसंग सुनाकर भाव-विभोर कर दिया। उन्होंने कहा कि श्रीराम कथा का वास्तव में अर्थ संशय से समाधान की यात्रा है। जो लोग संशय के साथ कथा का श्रवण करने आते हैं, इसमें उनके सभी संशय दूर हो जाते हैं। जिन पर प्रभु की विशेष कृपा होती है, उन्हें ही इसके श्रवण का मौका मिलता है।
कैराना रोड स्थित एक फार्म हाउस में चल रही कथा में विजय कौशल महाराज ने कहा कि भगवान को देखने के लिए पवित्र हृदय की आवश्यकता होती है। प्रभु छप्पन भोग नहीं, बल्कि भाव के भूखे होते हैं। हमें प्रभु की आराधना निष्काम भाव से करनी चाहिए। कहा कि कानों से जो बात (अच्छी या बुरी) सुनते हैं, वही मुख के रास्ते बाहर आती है। इसलिए हमें अच्छी बातों का श्रवण करना चाहिए। लेकिन, आज लोग कानों से दूसरों की ¨नदा सुनते हैं और फिर मुख से भी ¨नदा करते हैं। द्वेष, ईष्र्या और अहंकार हमारे सबसे बड़े दुश्मन है। अगर कोई सच्चे मन से श्रीराम कथा सुनता है और जीवन में आत्मसात करता है, उसका कल्याण निश्चित है। उन्होंने कहा कि मनुष्य को समझना होगा कि भौतिक सुख जीवन जीने के लिए हैं, लेकिन जीवन नहीं है। मनुष्य ही भौतिक सुखों की प्राप्ति को ही सबकुछ मान बैठा है और प्रभु से दूर होता जा रहा है। इससे जीवन में दुख और अशांति रहती है। कथा के बीच-बीच में भजनों के माध्यम से प्रभु का गुणगान भी किया गया। इस दौरान पूर्व विधायक राजेश्वर बंसल, रोबिन गर्ग, सपन मित्तल, सतीश कुमार गर्ग, राजीव मलिक, मुकेश गोयल आदि मौजूद रहे।