पारदर्शी बनाइए सरकारी कोविड अस्पताल की व्यवस्था
स्वास्थ्य विभाग शासन प्रशासन और जनप्रतिनिधि सभी का दावा है कि कोविड अस्पताल में बेहतर व्यवस्था है और मरीजों को शानदार उपचार दिया जा रहा है लेकिन बीच-बीच में बेपरदा हो रही हकीकत से आम आदमी का विश्वास डगमगा रहा है। कभी आक्सीजन का संकट तो कभी रिश्वत का मामला।
शामली, जेएनएन। स्वास्थ्य विभाग, शासन, प्रशासन और जनप्रतिनिधि सभी का दावा है कि कोविड अस्पताल में बेहतर व्यवस्था है और मरीजों को शानदार उपचार दिया जा रहा है, लेकिन बीच-बीच में बेपरदा हो रही हकीकत से आम आदमी का विश्वास डगमगा रहा है। कभी आक्सीजन का संकट तो कभी रिश्वत का मामला। कभी टायलेट से पीने का पानी लेने की बात होती है तो कभी आक्सीजन सिलेंडर में लीकेज की शिकायतें आती रहती हैं। अब उपचार ही नहीं मिलने से मरीज की मौत का वीडियो वायरल हुआ है। अस्पताल प्रशासन सफाई दे रहा है, लेकिन अस्पताल प्रशासन की सफाई और दावा लोगों के गले नहीं उतर रहा है। जरूरत है कोविड अस्पताल व्यवस्था को पारदर्शी बनाने की। अब देखना यह है कि व्यवस्था में शुरूआत की पहल कब होती है। प्रकरण-एक
एक दिन अचानक वीडियो वायरल होता है। सरकारी कोविड अस्पताल में तीमारदारों और मरीजों को पीने का पानी नहीं मिल रहा है। मरीजों टायलेट से लेकर पानी पी रहे हैं। अस्पताल प्रशासन ने इसे मामूली कमी बताया। डीएम ने मामले की जांच कराई तो पता चला कि वास्तव में पेयजल की किल्लत है। डीएम के हस्तक्षेप के बाद पानी के जग मंगवाए गए और तात्कालिक व्यवस्था की गई।
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प्रकरण -दो
अगले ही दिन कोविड अस्पताल परिसर से फिर शिकायतें आईं। वहां आक्सीजन के सिलेंडर से गैस लीकेज हो रही है। फ्लो मीटर नहीं मिल रहे हैं। इस संबंध में बात की गई तो अस्पताल प्रशासन ने फिर इन शिकायतों पर लीपापोती कर दी। जिला प्रशासन ने भी मामले की जांच कराने और अस्पताल प्रबंधन को निर्देश देने की बात कही।
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प्रकरण-तीन
इस गंभीर आरोप ने पूरे अस्पताल प्रबंधन और निजाम की पोल खोल दी। हरड़ फतेहपुर निवासी सत्यवान यहां भर्ती थे। उनका आक्सीजन सिलेंडर खत्म हो गया। उनकी पत्नी रोई-गिड़गिड़ाई, लेकिन मरीज को आक्सीजन नहीं दी गई। बेशर्म कर्मचारी ने आक्सीजन के बदले 50 हजार रुपये रिश्वत मांगी। महिला ने जैसे-तैसे करके दस हजार रुपये दे भी दिए, लेकिन व्यवस्था की बेशर्मी देखिए कि मरीज को रिश्वत लेकर भी आक्सीजन नहीं दी गई और उसकी मौत हो गई। इस पूरे मामले पर एक कर्मचारी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर पूरे मामले को खामोशी से निपटा दिया गया।
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प्रकरण-चार
रविवार रात फिर एक वीडियो वायरल हुआ। इसमें कोविड अस्पताल में उपचार नहीं मिलने पर मरीज की मौत होने की बात कही गई है। अस्पताल प्रशासन ने पूरी हठधर्मिता दिखाते हुए कह दिया कि मामला संज्ञान में नहीं है। अहम सवाल यह है कि यहां भी सरकारी कोविड अस्पताल पर आरोप लगा। यदि आरोप झूृठा तो अस्पताल प्रबंधन ने इसकी गहराई से जांच क्यों नहीं कराई और यदि आरोप सच है तो फिर अस्पताल प्रबंधन के जिम्मेदार लोगों पर सख्त कार्रवाई क्यों नहीं की गई। सवाल जनता के हैं और जनता को जिम्मेदारों के जवाब का इंतजार है।