Move to Jagran APP

ईद-उल-अजहा आज, घरों में ही अदा होगी नमाज

शामली जेएनएन ईद-उल-अजहा (बकरीद) का त्योहार शनिवार को मनाया जाएगा। घरों में ही नमाज अदा की जाएगी। शनिवार को चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात रहेगी।

By JagranEdited By: Published: Fri, 31 Jul 2020 10:55 PM (IST)Updated: Fri, 31 Jul 2020 10:55 PM (IST)
ईद-उल-अजहा आज, घरों में ही अदा होगी नमाज
ईद-उल-अजहा आज, घरों में ही अदा होगी नमाज

शामली, जेएनएन: ईद-उल-अजहा (बकरीद) का त्योहार शनिवार को मनाया जाएगा। घरों में ही नमाज अदा की जाएगी। शनिवार को चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात रहेगी। शासन-प्रशासन की गाइडलाइन का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई होगी। मुस्लिम धर्मगुरुओं की ओर से अपील की जा रही है कि सरकार की गाइडलाइन का पालन करें। साथ ही गले मिलने के बजाय दूर से ही या फोन-मैसेज कर बधाई दें। वहीं, शुक्रवार को बाजारों में मुस्लिम समाज के लोगों भी भीड़ रही और बकरीद को लेकर खरीददारी की गई।

loksabha election banner

ईद-उल-अजहा पर भी ईद-उल-फितर की तरह ईदगाह व मस्जिदों में नमाज अदा की जाती है। लेकिन कोरोना के प्रकोप के चलते ईद-उल-फितर की नमाज भी घरों में अदा हुई थी और अब ईद-उल-अजहा की नमाज भी घरों में ही लोग अदा करेंगे। प्रशासन धर्मगुरुओं के साथ बैठक कर चुका है। वहीं, कुर्बानी के लिए बकरे व अन्य पशुओं का प्रबंध कर लिया गया है। इस बार मंडी-पैठ नहीं लगी, लेकिन पशु व्यापारियों के घरों से लोग खरीदकर ले आए हैं। बाजारों में महिलाओं, युवाओं और बच्चों ने नए कपड़ों की भी खूब खरीददारी की। महिलाओं ने सजने-संवरने के उत्पाद भी खरीदे।

सात से 11.30 तक अदा करें नमाज

जामा मस्जिद बड़ा बाजार के शाही इमाम मौलाना शौकीन ने बताया कि मस्जिद में सुबह सात बजे पांच लोग ही नमाज अदा कर करेंगे और अन्य सभी घर में नमाज अदा करेंगे। सुबह सात से 11.30 बजे तक कभी सहुलियत के अनुसार नमाज अदा कर सकते हैं।

गाइडलाइन का न करें उल्लंघन

जमीयत उलमा-ए-हिद के जिला सदर मौलाना मोहम्मद साजिद कासमी का कहना है कि सभी से अपील है कि शासन-प्रशासन की गाइडलाइन का पूरी तरह पालन करते हुए त्योहार मनाएं। अपने-अपने घरों में नमाज अदा करें। पर्दे में कुर्बानी करें और पशु के अवशेष कहीं बाहर न फेंके। कोरोना से बचाव के लिए पूरी सावधानी बरतें।

अल्लाह ने ली थी हजरत इब्राहिम की परीक्षा

इस्लामिक साल के अंतिम महीने इदुल हिज्ज की 10वीं तारीख को ईद-उल-अजहा त्योहार मनाया जाता है। इसकी शुरुआत एक प्रेरणादायक प्रसंग से जुड़ी है। मौलाना मोहम्मद साजिद कासमी ने बताया कि हजरत इब्राहिम ने एक सपना देखा था, जिसमें अल्लाह ने उन्हें अपनी सबसे प्यारी चीज कुर्बान करने को कही। उन्होंने कई प्रिय पशुओं की कुर्बानी दी, लेकिन अल्लाह सपने में फिर भी प्यारी चीज कुर्बान करने को कहते रहे। इब्राहिम समझ गए कि अल्लाह को उनके इकलौते बेटे इस्माइल की कुर्बानी चाहिए। 90 वर्ष की उम्र में बेटा पैदा हुआ था। बेटे को कुर्बान करने के लिए वह मक्का के नजदीक मिना नामक पहाड़ी पर पहुंचे। हजरत इब्राहिम ने बेटे पर छुरियां चला दी और आंख से पट्टी उतारी तो देखा कि देवदूत हजरत जिब्राइल ने इस्माइल को वहां से हटाकर एक दुंबा रख दिया, जिसकी इब्राहिम ने कुर्बानी दी। अल्लाह को इस्माइल की कुर्बानी नहीं चाहिए थी, वो तो सिर्फ इब्राहिम की परीक्षा ले रहे थे। तभी से ईद-उल-अजहा मनाया जाता है। कुर्बानी को सुन्नत-ए-इब्राहिम कहा जाता है। कुर्बानी यानी त्याग हर धर्म में अल्लाह और भगवान को पाने का साधन है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.