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फसल चौपट कर रहे गोवंशी, शहर में भी भरमार

बेसहारा गोवंशी को संरक्षित करने को समय-समय पर अभियान चलाने के दावे भी होते रहे हैं। इसके बावजूद गांवों शहर और कस्बों में गोवंशी की भरमार है। किसानों के लिए बड़ी समस्या है क्योंकि गोवंशी फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। किसानों से लेकर शहर-कस्बों के लोग भी प्रशासन से कई बार शिकायत कर समस्या से अवगत भी करा चुके हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 14 Jan 2022 09:05 PM (IST)Updated: Fri, 14 Jan 2022 09:05 PM (IST)
फसल चौपट कर रहे गोवंशी, शहर में भी भरमार
फसल चौपट कर रहे गोवंशी, शहर में भी भरमार

शामली, जागरण टीम। बेसहारा गोवंशी को संरक्षित करने को समय-समय पर अभियान चलाने के दावे भी होते रहे हैं। इसके बावजूद गांवों, शहर और कस्बों में गोवंशी की भरमार है। किसानों के लिए बड़ी समस्या है, क्योंकि गोवंशी फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। किसानों से लेकर शहर-कस्बों के लोग भी प्रशासन से कई बार शिकायत कर समस्या से अवगत भी करा चुके हैं।

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कई वर्ष से बेसहारा गोवंशी की समस्या जिले में बनी हुई है। पहले जिले में कोई आश्रय स्थल नहीं था। तीन साल पूर्व योगी सरकार के आदेश पर अस्थायी गौ आश्रय स्थल विभिन्न गांवों में बनाकर गोवंशी संरक्षित किए गए। बनत और नंगली जमालपुर में वृहद गौ संरक्षण केंद्र बनाए गए। जिले में सभी गोवंशी को टैग भी लगाए जाते हैं, लेकिन कुछ लोग टैग को काटकर भी गोवंशी बेसहारा छोड़ देते हैं। ऐसे में यह समस्या कम नहीं हुई। सरसों, गेहूं, आलू, गन्ना और सब्जियों आदि की फसलों को गोवंशी काफी नुकसान पहुंचा रहे हैं। किसान संगठनों के मुद्दों में गन्ना भुगतान के बाद यही समस्या प्रमुख रहती है।

रेलपार निवासी किसान चौधरी अजय का कहना है कि उनके खेत गांव सहटा में हैं। बारिश आदि से तो फसलों को नुकसान होता ही है, लेकिन गोवंशी भी बहुत नुकसान करते हैं। दिन में तो देखरेख हो जाती है, लेकिन अगले दिन सुबह फसल में नुकसान हुआ मिलता है।

वहीं, शहर निवासी निशीकांत संगल का कहना है कि मुख्य सड़कों से लेकर गली-मोहल्लों तक में गोवंशी घूमते रहते हैं। दुर्घटना की आशंका भी बनी रहती है। नगर पालिका शामली प्रशासन कतई गंभीर नहीं है।

मुख्य पशुचिकित्सा अधिकारी डा. यशवंत का कहना है कि बेसहारा गोवंशी को संरक्षित करने का अभियान चलाया जा रहा है। एक जनवरी से शुरू हुआ था और 17 जनवरी तक चलेगा। अभियान के तहत 160 गोवंशी संरक्षित कराए जा चुके हैं। कुल 3819 गोवंशी अब तक संरक्षित हुए हैं और इनमें से 1330 गोवंशी सहभागिता योजना के तहत पालन को दिए गए हैं। जिले में 17 अस्थायी आश्रय स्थल हैं और दो वृहद गौ संरक्षण केंद्र हैं।


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