हाड़ कंपा रही शीतलहर, नहीं निकली धूप
ठंड का सितम बढ़ता ही जा रहा है। धूप बिल्कुल भी नहीं निकली और शीतलहर हाड ़कंपा रही है। शाम को ठिठुरन और बढ़ी तो शहर में जल्दी ही सन्नाटा सा पसरा दिखा। तापमान अधिकतम 15.7 और न्यूनतम 5.6 डिग्री सेल्सियस रहा। जबकि बुधवार को तापमान अधिकतम 15.2 और न्यूनतम 8.2 डिग्री सेल्सियस था।
जागरण संवाददाता, शामली। ठंड का सितम बढ़ता ही जा रहा है। धूप बिल्कुल भी नहीं निकली और शीतलहर हाड ़कंपा रही है। शाम को ठिठुरन और बढ़ी तो शहर में जल्दी ही सन्नाटा सा पसरा दिखा। तापमान अधिकतम 15.7 और न्यूनतम 5.6 डिग्री सेल्सियस रहा। जबकि बुधवार को तापमान अधिकतम 15.2 और न्यूनतम 8.2 डिग्री सेल्सियस था।
गुरुवार को कोहरा हल्का ही रहा, लेकिन ठंड काफी अधिक थी। साथ ही बर्फीली हवा सुन्न भी रही थी और हाड़ भी कंपा रही थी। आसमान बादलों से घिरा रहा और धूप नहीं निकली। लोग गर्म कपड़ों से पूरी तरह लकदक नजर आए। बिन दस्ताने बाइक-स्कूटी चलाना मुश्किल हो रहा था। कलक्ट्रेट से लेकर सीएचसी शामली में भीड़ काफी कम रही। जगह-जगह लोग अलाव तापते रहे। साथ ही लोग हीटर-ब्लोअर से भी राहत पाते रहे। दोपहर बाद हवा थोड़ी और तेज हो गई। ऐसे में ठंडक भी बढ़ गई। शाम को लोग जरूरी होने पर ही घरों से निकले। ऐसे में मुख्य सड़कों से लेकर बाजारों तक में देर शाम को सन्नाटा जैसी स्थिति हो गई थी। हालांकि बाजारों में दिन में भी भीड़ अधिक नहीं थी।
वहीं, पिछले मंगलवार से लेकर अब तक सिर्फ एक दिन धूप निकली थी और वो भी बहुत हल्की थी। ऐसे में आलू की फसल को नुकसान है। कृषि वैज्ञानिक डा. विकास मलिक ने बताया कि वर्तमान मौसम आलू की फसल के लिए नुकसानदायक है। अगेती झुलसा रोग बढ़ा है और पछेती झुलसा रोग की आशंका बढ़ गई है। रात में पाला भी पड़ रहा है, जिससे भी आलू को नुकसान है।
असंतुलित खानपान से ठंड में बिगड़ सकती है सेहत
कड़ाके की ठंड लगातार पड़ रही है। साथ ही खानपान और अनियमित जीवनशैली से सेहत बिगड़ने का खतरा रहता है। हृदय, सांस, शुगर के मरीजों की समस्या बढ़ती है, क्योंकि तला-भुना अधिक खाने लगते हैं।
फिजिशियन डा. इकबाल अहमद ने बताया कि सर्दियों में भोजन की मात्रा बढ़ जाती है और तला-भुना खाने का मन अधिक करता है। सर्दियों में शारीरिक गतिविधियां भी कम हो जाती हैं। रक्त में वसा की मात्रा बढ़ जाती है और ठंड के कारण रक्त धमनियां और सांस की नली सिकुड़ जाती है। खून गाढ़ा भी हो जाता है। ऐसे में हृदयघात, उच्च रक्तचाप और अधरंग का खतरा बढ़ जाता है। मोटापा भी बढ़ने लगता है। सांस, हृदय, रक्तचाप और शुगर के रोगियों को तो पूरी तरह तला-भुना खाने से परहेज रखना चाहिए। शुगर के रोगी मीठे से भी किनारा ही रखें।
सीएचसी शामली के चिकित्सक डा. दीपक चौधरी का कहना है कि सर्दियों में बादाम, अखरोट, मौसमी हरी सब्जियों और फल का सेवन अधिक करें। ठंड में बाहर निकलने से बचाव करें, लेकिन घर में कमरे के भीतर नियमित व्यायाम करते रहें। तला-भुना किसी भी मौसम में खाना फायदेमंद नहीं होता है। क्योंकि, ऐसे भोजन से पाचन प्रभावित होता है। साथ ही शुगर का स्तर बढ़ने का खतरा भी होता है। असंतुलित खानपान भी बीमारियों का कारण बनता है। समय से और पौष्टिक व सुपाच्य भोजन करें।