आवारा कुत्तों का आतंक, पालने का कोई नियम-कायदा नहीं
जेएनएन शामली आवारा कुत्तों का आतंक तो है ही लेकिन खतरा पालतू कुत्तों से भी कम नहीं होता है। नगर निकायों की ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है जिसमें कुत्ता पालने के लिए पंजीकरण या अनुमति जैसी कोई बाध्यता हो। या कोई नियम-कायदे हों।
जेएनएन, शामली : आवारा कुत्तों का आतंक तो है ही, लेकिन खतरा पालतू कुत्तों से भी कम नहीं होता है। नगर निकायों की ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है, जिसमें कुत्ता पालने के लिए पंजीकरण या अनुमति जैसी कोई बाध्यता हो। या कोई नियम-कायदे हों।
आवारा कुत्तों की शामली शहर के साथ अन्य कस्बों व गांवों में भरमार है। कुत्तों को पकड़ने की कोई व्यवस्था कहीं नहीं है। शहर में ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है, जहां आवारा कुत्ते न हो। रात के समय पैदल चलने वालों के साथ बाइकों के पीछे दौड़ पड़ते हैं। लोग शाम ढलने पर बच्चों को अकेले बाहर भेजने से डरते हैं। कुछ कुत्तों का शिकार बन जाते हैं तो कुछ बचने के चक्कर में चोटिल होते हैं। अनुमान है कि शामली शहर में करीब एक हजार आवारा कुत्ते हैं। कई सभासद समस्या से नगर पालिका को अवगत भी करा चुके हैं, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। मेरठ के सरधना में ढाई साल के बच्ची पर पालतू कुत्तों ने हमला बोल दिया और काटकर गंभीर रूप से घायल कर दिया। शामली में न तो कुत्ता पालने के लिए पंजीकरण कराने की जरूरत है और न ही कोई अनुमति लेनी पड़ती है। पालिका को ये भी नहीं पता कि कितने पालतू कुत्ते हैं और कौन-कौन से हैं। काफी लोग तो घरों में खतरनाक से खतरनाक कुत्ते पालते हैं।
नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी सुरेंद्र यादव ने बताया कि ऐसा कोई नियम नहीं है कि कुत्ता पालने वालों को कोई पंजीकरण आदि कराना पड़े। हालांकि नगर-निकाय एक्ट में देखा जाएगा। अगर ऐसा कुछ प्रावधान हुआ तो लागू कराने का प्रयास करेंगे। ---
अब है वैक्सीन की उपलब्धता
अगस्त-सितंबर में जिले की सभी सीएचसी में एंटी रेबीज वैक्सीन खत्म रही थी। ऐसे में लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। हालांकि अब पर्याप्त उपलब्धता है। सीएचसी शामली में पांच से छह लोगों को वैक्सीन लगती है। अधिकांश कुत्तों काटने वाले होते हैं।
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चिकित्सक की सलाह
निजी चिकित्सक डा. पंकज गर्ग ने बताया कि कुत्तों का पालन करने वालों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। कुत्ते को वैक्सीन लगती है। इसलिए सभी कुत्ते को वैक्सीन जरूर लगवाएं। कुत्ता काटने के दस दिन के भीतर सभी लोगों को पहली वैक्सीन लगवा लेनी चाहिए। वैसे तो रेबीज वायरस कम ही जानवरों में मिलता है, लेकिन यह पता नहीं लगाया जा सकता है कि किसमें है और किस में नहीं है।
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इनका कहना है महानगर पालिकाओं और नगर निगम में तो पालतू जानवरों के पंजीकरण की व्यवस्था होती है, लेकिन हमारे यहां कोई प्रावधान नहीं है। इसलिए किसी के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो पाती। यही नहीं पालतू जानवरों के रखने की सटीक जानकारी भी नहीं मिल पाती है। डा. यशवंत, मुख्य पशुचिकित्सा अधिकारी