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बंदरों और आवारा कुत्तों का आतंक बेहिसाब, कब जागेंगे जिम्मेदार

जिले में बेसहारा गोवंशी बंदर और आवारा कुत्ते परेशानी का कारण बन रहे हैं। गोवंशी फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं और सड़क हादसों का कारण भी बनते हैं। कुत्तों का आतंक भी बहुत अधिक है। बंदरों की दहशत तो जान पर भी भारी पड़ चुकी है। जिम्मेदारों को सब जानकारी है इसके बावजूद इस ओर से आंखें मूंदे हुए हैं। किसान संगठन समाजसेवी सभासद आदि कई बार इन समस्याओं से प्रशासन और नगर निकायों को अवगत भी करा चुके हैं। कुत्तों के आतंक पर अंकुश लगाने के लिए कभी भी कोई कदम नहीं उठाए गए। कभी-कभी बंदरों को पकड़ने का अभियान चलाया जाता है। इसके लिए मथुरा से टीम बुलाई जाती है। काफी संख्या में बेसहारा गोवंशी संरक्षित किए गए हैं लेकिन इसके बाद भी समस्या बनी ही हुई है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 19 Jan 2022 11:03 PM (IST)Updated: Wed, 19 Jan 2022 11:03 PM (IST)
बंदरों और आवारा कुत्तों का आतंक बेहिसाब, कब जागेंगे जिम्मेदार
बंदरों और आवारा कुत्तों का आतंक बेहिसाब, कब जागेंगे जिम्मेदार

शामली, जागरण टीम। जिले में बेसहारा गोवंशी, बंदर और आवारा कुत्ते परेशानी का कारण बन रहे हैं। गोवंशी फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं और सड़क हादसों का कारण भी बनते हैं। कुत्तों का आतंक भी बहुत अधिक है। बंदरों की दहशत तो जान पर भी भारी पड़ चुकी है। जिम्मेदारों को सब जानकारी है, इसके बावजूद इस ओर से आंखें मूंदे हुए हैं। किसान संगठन, समाजसेवी, सभासद आदि कई बार इन समस्याओं से प्रशासन और नगर निकायों को अवगत भी करा चुके हैं। कुत्तों के आतंक पर अंकुश लगाने के लिए कभी भी कोई कदम नहीं उठाए गए। कभी-कभी बंदरों को पकड़ने का अभियान चलाया जाता है। इसके लिए मथुरा से टीम बुलाई जाती है। काफी संख्या में बेसहारा गोवंशी संरक्षित किए गए हैं, लेकिन इसके बाद भी समस्या बनी ही हुई है।

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आवारा कुत्तों का खौफ

पूरे जिले में आवारा कुत्तों का खौफ बहुत अधिक है। दिसंबर माह में ही कैराना क्षेत्र के गांव जहानपुरा में स्कूल जा रहे आठ बच्चों को कुत्ते ने हमला कर जख्मी कर दिया था। कांधला में गत जुलाई माह में पागल कुत्ते ने बच्चों समेत छह को काटकर घायल कर दिया था। इससे अलग भी कई घटना हो चुकी हैं, लेकिन इस समस्या पर किसी का कोई ध्यान नहीं है। न तो कुत्तों को पकड़ने, रखने की कोई व्यवस्था है और न ही नसबंदी की। लोग नगर निकायों के साथ ही प्रशासन से भी कई बार शिकायत कर चुके हैं। रात में कुत्ते स्कूटी-बाइक के पीछे दौड़ पड़ते हैं। कोई कुत्ते के काटने से जख्मी होता है तो कोई अनियंत्रित होकर गिरकर घायल हो जाता है। सीएचसी शामली में ही प्रतिदिन 15 से 20 लोग एंटी रेबीज वैक्सीन लगवाने आते हैं। जिले में सभी सीएचसी पर 50 से अधिक को एक दिन में एंटी रेबीज वैक्सीन लगाने का औसत है। कई लोग निजी चिकित्सकों से भी वैक्सीन लगवाते हैं। बंदरों का आतंक जान भी ले चुका

सितंबर माह में कैराना में पूर्व जिला पंचायत सदस्य सुषमा चौहान पर बंदरों ने हमला कर दिया था और उनकी छत से गिरकर मौत हो गई थी। दो माह पहले बनत में छत पर कपड़े सुखाने गई महिला पर बंदरों ने हमला कर दिया था और छत से गिरकर महिला गंभीर रूप से घायल हो गई थी। शामली शहर में कुछ दिन पहले ही बदंरों को पकड़ने का अभियान चला था और डेढ़ सौ से अधिक बंदर पकड़े भी गए, लेकिन अब भी बंदर काफी हैं। कलक्ट्रेट शामली में भी बंदरों का खूब आतंक है। जलालाबाद, थानाभवन, ऊन, कांधला कस्बे के साथ ही तमाम गांवों में बंदरों के कारण लोग परेशान हैं। नगर निकायों में तो कभी-कभी अभियान भी चलाया जाता है, लेकिन ग्राम पंचायतों में तो कोई सुध नहीं ली जाती है। गोवंशी से किसान सबसे अधिक परेशान

जनवरी 2019 में शासन के निर्देश पर अस्थायी गौ आश्रय स्थल बनाए गए थे। अभियान चलाकर गोवंशी को संरक्षित करने का काम शुरू हुआ था। पहले तो 30 से अधिक आश्रय स्थल थे। काफी गोवंशी को संरक्षित भी किया गया है। इसके बावजूद गांवों से लेकर शहर, कस्बों में बेसहारा गोवंशी की भरमार है। गोवंशी गेहूं, गन्ना, सब्जियों समेत सभी फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। किसानों को फसल की सुरक्षा के लिए भी रखवाली करनी पड़ती है। काफी किसान तो हाड़कंपाती ठंड में रात के समय भी खेत पर देखने जाते हैं कि गोवंशी फसलों को नष्ट तो नहीं कर रहे। साथ ही अक्सर अचानक सड़क के बीच गोवंशी आ जाते हैं, जिससे कई बाद दुर्घटना भी हो चुकी हैं। किसान संगठनों का गन्ना भुगतान की समस्या के बाद प्रमुख मुद्दा गोवंशी की समस्या ही है। शासन-प्रशासन को अनेकों बार ज्ञापन भी दिए जा चुके हैं। संरक्षित गोवंशी की स्थिति

-3800 से अधिक गोवंशी संरक्षित हुए हैं।

-1330 गोवंशी सहभागिता योजना के तहत पालन को दिए गए हैं

-17 अस्थायी गौ आश्रय स्थल हैं जिले में

-दो वृहद गौ संरक्षण केंद्र हैं ----

बेसहारा गोवंशी की समस्या से किसान बेहद परेशान हैं। फसलों को काफी नुकसान पहुंचाते हैं और इसका कोई मुआवजा भी नहीं मिलता है। शासन-प्रशासन इस पर विशेष ध्यान दे।

-अजय पंवार, किसान आवारा कुत्तों के आतंक से कई बार नगर पालिका शामली प्रशासन को अवगत कराया जा चुका है। गोवंशी को भी सरंक्षित नहीं किया जा रहा। हालांकि बंदरों को तो पकड़वाया गया है।

-निशीकांत संगल, समाजसेवी शामली एक साल से बंदरों का आतंक पूरे क्षेत्र में हैं। बंदरों के साथ ही बेसहारा गोवंशी भी फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं। इस समस्या के निस्तारण को प्रभावी कदम उठाए जाने की जरूरत है।

-मोनू कश्यप, गांव टोडा इन्होंने कहा

हाल ही में बेसहारा गोवंशी संरक्षित करने के लिए अभियान भी चलाया गया। काफी गोवंशी संरक्षित हुए। नगर निकायों के अधिकारियों को बंदरों को पकड़वाने के निर्देश भी दिए हुए हैं। आवारा कुत्तों की समस्या से निजात को लेकर क्या व्यवस्था बनाई जा सकती है, इस बारे में गंभीरता के साथ योजना बनाई जाएगी।

-संतोष कुमार सिंह, अपर जिलाधिकारी शामली


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