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भारत के लिए सोना जीतना चाहती है सोनल

शामली जेएनएन। बेटियां आज हर क्षेत्र में नाम रोशन कर रही हैं। कोई भी लक्ष्य हो उसे भेदने में सक्षम हैं। शामली की बेटी सोनल तोमर भी आज शूटिग की दुनिया में जाना-पहचाना नाम बन चुकी हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 20 Oct 2020 10:18 PM (IST)Updated: Tue, 20 Oct 2020 10:18 PM (IST)
भारत के लिए सोना जीतना चाहती है सोनल
भारत के लिए सोना जीतना चाहती है सोनल

शामली, जेएनएन।

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बेटियां आज हर क्षेत्र में नाम रोशन कर रही हैं। कोई भी लक्ष्य हो, उसे भेदने में सक्षम हैं। शामली की बेटी सोनल तोमर भी आज शूटिग की दुनिया में जाना-पहचाना नाम बन चुकी हैं। राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में स्वर्ण और रजत पदक अपने नाम कर चुकी हैं और इसके बावजूद पढ़ाई पर भी पूरा फोकस रखा। एमएससी के साथ ही बीएड भी कर चुकी हैं। अब वह नेशनल चैंपियनशिप के लिए तैयारी कर रही हैं और इनका सपना भारत के लिए सोना जीतना है।

शामली के रेलपार निवासी सोनल तोमर के पिता कंवरपाल सिंह उत्तर प्रदेश पुलिस में कांस्टेबल थे। साल 2019 में उनकी मृत्यु हो गई थी। सोनल की माता सीमा तोमर गृहणी हैं। सोनल ने 2011 में शामली के आरके पीजी कॉलेज में बीएससी में प्रवेश लिया था और तभी से शूटिग प्लेयर बनने की सोच ने जन्म लिया। तब वह इस खेले के बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानती थी, लेकिन मन पक्का किया और शामली राइफल क्लब में एयर राइफल शूटिग का प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया। कुछ समय ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी चैंपियनशिप हुई और इसमें हिस्सा लेते हुए शानदार प्रदर्शन किया। वर्ष 2016 में यूपी स्टेट चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता और वर्ष 2017 में स्वर्ण पदक अपने नाम किया। सोनल बताती हैं कि 2016 से पहले वह दो बार और यूपी स्टेट चैंपियनशिप में खेली थी, लेकिन कोई पदक नहीं जीत सकी थी। इसके बाद और मेहनत की। वह बताती हैं कि दो बार नेशनल शूटिग चैंपियनशिप में भी वह प्रतिभाग कर चुकी हैं। फिलहाल तो कोरोना महामारी के चलते कोई प्रतियोगिता नही हो रही है, लेकिन वह प्रतियोगिता के लिए तैयारी कर रही है। वह खूब मेहनत कर रही हैं और स्वर्ण पदक जीतने की पूरी कोशिश रहेगी।

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एमएससी बाटनी के बाद कर चुकी हैं बीएड

सोनल ने बीएससी के बाद आरके पीजी कॉलेज से ही एमएससी बोटनी की। इसके बाद शामली के ही एक कॉलेज में बीएड में प्रवेश लिया और अब वह भी पूरी हो चुकी है। सोनल बताती हैं कि पढ़ाई और शूटिग दोनों उनके लिए महत्वपूर्ण हैं। इसके लिए टाइम मैनेजमेंट किया गया और कोई दिक्कत नहीं हुई। वह कहती हैं कि पिता हमेशा कहते थे कि जो भी करना है, पूरी मेहनत और समर्पण के साथ करना चाहिए। शूटिग का खेल थोड़ा महंगा होता है, लेकिन परिवार के लोगों ने कभी कोई कमी नहीं रहने दी। आज वह जिस भी स्तर पर पहुंची हैं, उसका श्रेय कोच और क्लब अध्यक्ष मुकेश चौधरी को जाता है।


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